हिंदू धर्म शास्त्रों में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित किया गया है. शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता लक्ष्मी समुद्र मंथन के समय प्रकट हुईं थीं. हिंदू धर्म शास्त्रों में माता लक्ष्मी को धन, वैभव की देवी मााना गया है. शुक्रवार के दिन विधि-विधान से माता लक्ष्मी का पूजन और व्रत किया जाता है.
मान्यताओं के अनुसार…
मान्यताओं के अनुसार, जिस पर माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है उसके घर में धन और वैभव की कोई कमी नहीं रहती. घर में हमेशा खुशहाली रहती है. शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के पूजन और व्रत के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शुक्रवार के दिन गुप्त लक्ष्मी की पूजा की जाती है. दरअसल, गुप्त लक्ष्मी, जिन्हें धूमावती भी कहा जाता है. ये अष्ट लक्ष्मी के रूप में भी जानी जाती हैं.मान्यता है कि जो भी शुक्रवार को गुप्त लक्ष्मी (अष्ट लक्ष्मी) की पूजा करता है उसके घर की तीजोरी हमेशा धन-दौलत से भरी रहती है.
पूजा विधि
शास्त्रों में बताया गया है कि मां लक्ष्मी के पूजन के लिए रात का समय शुभ माना गया है.
शुक्रवार की रात 9 से 10 बजे के बीच मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए.
पूजा के लिए सबसे पहले स्वस्छ वस्त्र धारण करने चाहिए.
फिर पूजा की चौकी पर गुलाबी कपड़ा बिछाकर श्रीयंत्र और गुप्त लक्ष्मी (अष्ट लक्ष्मी) की प्रतीमा या तस्वीर रखनी चाहिए.
फिर उनके माता के सामने 8 घी के दीपक जलाने चाहिए.
फिर अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी को तिलक लगाना चाहिए.
मां को लाल गुडहल के फूलों की माला पहनानी चाहिए.
खीर का भोग लगाना चाहिए
ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा मंत्र का जाप करना चाहिए.
अंत में माता की आरती करनी चाहिए.
फिर आठों दीपक को घर की आठ दिशाओं में रख देना चाहिए.
माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी की पूजा सिर्फ घर में धान-धान्य की बढ़ोतरी के लिए ही नहीं की जाती, बल्कि माता लक्ष्मी इसलिए भी होती है कि समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त हो सके. माता लक्ष्मी की पूजा से नकारात्मक शक्तियां भी नष्ट हो जाती हैं.
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