आयोग की अनसुनी करने पर आमदा महिला बाल विकास
एफआईआर कराने के बजाय गैर पंजीकृत संस्थाओं से करेगा विमर्श

भोपाल। मप्र महिला एवं बाल विकास के अधिकारी राष्ट्रीय बाल आयोग की अनसुनी करने पर आमदा दिखाई है। वजह यह है कि गैर पंजीकृत अशासकीय संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय बैठक करने जा रहा है। इसके लिये 7 जिलों के अधिकारियों को गुरूवार राजधानी बुलाया गया है। इसमें संस्था के अधीक्षकों को भी बैठक में उपस्थित रहने के निर्देश दिये गये हैं।
जबकि बीते मंगलवार को राष्ट्रीय बाल आयोग ने महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी को संबोधित पत्र में निर्देशित किया था कि 7 जिलों की गैर पंजीकृत 13 संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाय। आयोग ने यह निर्णय किशोर न्याय नियम 2015 के नियम 29-4 के प्रावधानों के उल्लंघन को देखते हुए लिया था। इसके तहत बालिका एवं बालक के लिये पृथक-पृथक बालगृह का संचालन किया जाना था। बावजूद इसके नियमों को नजरअंदाज कर एक ही पंजीयन पर दोहरी संस्थाओं का संचालन किया जा रहा था। जबकि आयोग ने संस्था संचालकों के खिलाफ एफआईआर कराने के निर्देश दिये हैं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी इनको बचाने की जुगत में जुटे नजर आ रहे है। अपर संचालक आरपी रमनवाल के हस्ताक्षर से जारी पत्र के माध्यम से जिला परियोजना अधिकारियों के साथ इन संंस्थाओं के अधीक्षकों के साथ विजयराजे वात्सल्य भवन में बुलाई गई बैठक को इसी मायने में देखा जा रहा है।
अवैध बाल गृह चलाना व किशोर लड़के लड़कियों को एक बाल गृह में रखना जेजे ऐक्ट का उल्लंघन है,अपराध है।
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) February 15, 2023
आयोग ने अपराधियों पर FIR के लिए लिखा है,कार्यवाही के बजाय चाय बिस्कुट की बैठक में उन्हें आमंत्रित कर बचाने के रास्ते खोजना ग़लत है।दमोह के माफ़िया को बचाने में तंत्र का दुरुपयोग है pic.twitter.com/KCs89B7PQ8
आयोग ने जताया ऐतराज
इधर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के कृत्य पर राष्ट्रीय बाल आयोग ने ऐतराज जताया है। विभाग द्वारा जारी पत्रों को ट्विटर पर साझा करते हुए अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा है कि अवैध बाल गृह चलाना व किशोर लड़के लड़कियों को एक बाल गृह में रखना जेजे ऐक्ट का उल्लंघन है,अपराध है। आयोग ने अपराधियों पर एफआईआर के लिए लिखा है, कार्यवाही के बजाय चाय बिस्कुट की बैठक में उन्हें आमंत्रित कर बचाने के रास्ते खोजना गलत है। दमोह के माफिया को बचाने में तंत्र का दुरुपयोग है।
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