जब सरकार देगी 600 करोड़ तब कर्मचारियों को मिलेगी महंगाई से राहत
जनवरी 2023 से लंबित है केंद्र सरकार के समान 4 प्रतिशत डीए

भोपाल। मप्र में विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारी मांगों को लेकर लामबंद हो रहे हैं। महंगाई भत्ता और महंगाई राहत जैसे लंबित विषय इस आक्रोश की वजह है। क्योंकि जनवरी 2023 से जहां कर्मचारियों का केंद्र सरकार के समान 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता बकाया है। वहीं पेशनरों को प्रतिमाह हो रहा है 9 प्रतिशत महंगाई राहत का नुकसान उठाना पड़ रहा है। बीते 5 माह में हुए इस नुकसान की भरपाई तब होगी, जबकि सरकार 600 रूपये का भुगतान करेगी।
महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने जनवरी 2023 से 4 प्रतिशत महंगाई भत्ते में वृद्धि कर 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता एवं सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई राहत प्रदान कर दिया है। वहीं मध्य प्रदेश में बीते 5 माह में कर्मचारियों को 5 प्रतिशत महंगाई भत्ता एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 9 प्रतिशत महंगाई राहत के आदेश जारी नहीं हो पाए है। इसके कारण कर्मचारियों को लगभग 600 करोड़ का नुकसान हो चुका है। मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी का दावा है कि प्रत्येक कर्मचारी को प्रतिमाह 620 से 5640 तक कम वेतन मिल रहा है। यदि महंगाई राहत और महंगाई भत्ते के बकाया एरियर को जोड़ लिया जाय तो 12 लाख अधिकारियों व कर्मचारियों को होने वाले नुकसान का आंकड़ा कई सौ करोड़ तक पहुंच जाता है।
पेंशनरों को नगद राशि देने की मांग
कर्मचारियों ने राज्य सरकार से मांग की है कि जिस प्रकार सरकार केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों को जनवरी-जुलाई में महंगाई भत्ता महंगाई राहत का भुगतान किया जाता है उसी प्रकार राज्य सरकार को भी केंद्रीय तिथि व दर से महंगाई भत्ता महंगाई राहत दी जानी चाहिए। कर्मचारियों ने जनवरी 2023 से कर्मचारियों को 5 प्रतिशत महंगाई भत्ता और पेंशनरों को 9 प्रतिशत महंगाई राहत प्रदान करते हुए पूर्व की बकाया राशि जीपीएफ खाते में और पेंशनरों को नगद राशि देने की मांग की है।
सरकार पर दबाव बनाने लगे कर्मचारी
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को पांच महीने का वक्त बचा है इसलिए कर्मचारी अपनी-अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार पर लगातार दबाव बना रहे है। अब कर्मचारी सरकार को अपना वादा याद दिला रहे है। इसके लिये मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यसचिव को पत्र भी भेज चुकी है। कर्मचारियों का कहना है कि यदि सरकार ने अनसुना किया तो इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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