नई दिल्ली
आम आदमी के लिए थोड़ी राहत की खबर है। फरवरी में घर पर बनने वाली शाकाहारी थाली की कीमत पिछले साल के मुकाबले कम हो गई है। यह जानकारी क्रिसिल (CRISIL) के खाने की थाली की कीमत बताने वाले मासिक संकेतक RRR (रोटी राइस रेट) से मिली है। रिपोर्ट के अनुसार नॉन-वेज थाली की कीमत में करीब 6% की बढ़ोतरी हुई है। इसका कारण चिकन की कीमतों में बढ़ोतरी है। पिछले महीने की तुलना में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह की थालियों की कीमतों में कमी आई है।
क्रिसिल घर पर बनने वाली एक औसत थाली की कीमत की गणना भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के दामों को ध्यान में रखकर करता है। मासिक बदलाव रोजमर्रा के घरेलू खर्चों पर पड़ने वाले असर को दर्शाते हैं। इस विश्लेषण में अनाज, दालें, चिकन, सब्जियां, मसाले, खाने का तेल और रसोई गैस जैसी जरूरी चीजों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव पर नजर रखी जाती है।
कितनी सस्ती हुई शाकाहारी थाली?
फरवरी में शाकाहारी थाली की कीमत पिछले साल की तुलना में कम हुई, जबकि मांसाहारी थाली की कीमत चिकन की ऊंची कीमतों के कारण बढ़ी। शाकाहारी थाली की कीमत में फरवरी में साल-दर-साल 1% की कमी देखी गई, जबकि मांसाहारी थाली की कीमत में लगभग 6% की वृद्धि दर्ज की गई।
शाकाहारी थाली की कीमत में कमी का कारण टमाटर और LPG सिलेंडर की कीमतों में गिरावट है। टमाटर की कीमतें 32 रुपये प्रति किलो से घटकर 23 रुपये प्रति किलो हो गईं, जो साल-दर-साल 28% की कमी दर्शाती है। ऐसा 20% अधिक आपूर्ति के कारण हुआ।
LPG की कीमतों में साल-दर-साल 11% की कमी आई (दिल्ली में 14.2 किलो के सिलेंडर की कीमत 903 रुपये से घटकर 803 रुपये हो गई), जिससे अतिरिक्त बचत हुई। क्रिसिल का कहना है कि अगर प्याज (11%), आलू (16%) और खाने के तेल (18%) की कीमतों में साल-दर-साल वृद्धि नहीं होती तो यह गिरावट और भी ज्यादा होती।
नॉन वेज थाली क्यों महंगी हुई?
मांसाहारी थाली की कीमतों में तेजी मुख्य रूप से चिकन की कीमतों में साल-दर-साल 15% की वृद्धि के कारण हुई। चिकन मांसाहारी थाली की लागत का लगभग 50% हिस्सा होता है। इसकी कीमतों में यह वृद्धि पिछले साल के के मुकाबले इस बार ज्यादा रही। पिछले साल चिकन की अधिक आपूर्ति के कारण इसकी कीमतें गिर गई थीं। इसके अलावा मक्का की कीमतों में साल-दर-साल 6% की वृद्धि हुई। इसके कारण चिकन का चारा महंगा हो गया।
लेकिन एक महीने में गिर गई कीमत
पिछले महीने की तुलना में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थालियों की कीमतों में 5% की कमी आई है। यह कमी ताजी आपूर्ति के कारण हुई जिससे प्याज (7%), आलू (17%) और टमाटर (25%) की कीमतों में गिरावट आई। इसके अतिरिक्त दक्षिण भारत में बर्ड फ्लू की चिंताओं के बाद मांग में कमी के कारण चिकन की कीमतों में महीने-दर-महीने अनुमानित 5% की गिरावट आई।
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