वैदिक अनुष्ठान होलिका दहन से दूर होता है अनिष्ट
पंडित शरद द्विवेदी से जानिये शुभ मुहूर्त और राशि अनुसार होली के रंग का प्रभाव

भोपाल। हास परिहास व्यंग-विनोद मौज मस्ती और समाजिक मेल जोल का प्रतीक लोकप्रिय पर्व होली अथवा होलिका वास्तव मेें एक वैदिक यज्ञ है, जिसका मूल स्वरूप आज विलुप्त हो गया है । होली में जलाई जाने वाली आग यज्ञवेदी में निहित अग्नि का प्रतीक है। वैदिक युग में यज्ञवेदी के समीप एक उदम्बर वृक्ष गूलर की टहनी गाड़ी जाती थी। क्योकि गूलर का फल माधुर्य गुण में सर्वाेपरि मानी जाता है। जब उदम्बर वृक्ष गूलर का वृक्ष मिलना बन्द हो गया, तब एरण्ड वृक्ष की टहनी गाडी जाने लगी। ये माघ की पूर्णिमा में होली का डंडा के नाम से गाड़ा जाता है। इस अवसर पर लोग ग्राम्य भाषा का खूब प्रयोग कर आक्षेप-प्रत्याक्षेप करते हुये हंसी ठिठोली करते थे। इसके बाद विधि विधान से शुभ मुहूर्त की बेला में होलिका का दहन किया जाता है। जबकि दूसरे दिन धूल मिटटी गुलाल इत्यादि से रंग खेलते थें। होलिका का पूर्ण सामग्री सहित पूजन करे। होलिका दहन करे। ऐसा करने से सारे अनिष्ट दूर हो जाते है। होली सम्मिलन मित्रता एवं एकता का पर्व है इसलिए द्वेष भावना को भुलाकर सभी को आपस में गले मिलना चाहिये।
मान्यता
01- ऐसी मान्यता है कि इस पर्व का सम्बन्ध काम दहन से है। भगवान शंकर ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था, तभी से इस त्योहार का प्रचलन हुआ है।
02- इस त्योहार को हिरण्यकश्यप की बहन होलिका व प्रभु भक्त प्रह्लाद की स्मृति मे भी मनाया जाता है।
03- होली पर्व को नवान्नेष्टि यज्ञ पर्व भी कहा जाता है। इस दिन खेत से नवीन अन्न की बालियों को यज्ञ में हवन कर प्रसाद लेने की भी परम्परा है। इस अन्य प्रसाद को होला कहते है। इसी से इसका नाम होलिकात्सव पडा।
महत्व
01- फाल्गुन शुक्ल अष्ठमी से पूर्णिमा पर्यन्त आठ दिन होलाष्टक मनाया जाता है। इसे शुरू होने पर एक पेड की शाखा काट कर उसमें रंगबिरंगे कपडे के टुकड़े बाधते है और इस शाखा को जमीन में गाड़ दिया जाता है। सभी लोग इसके नीचे होलिकोत्सव मनाते है।
02- इस दिन आम्रमजरी और चन्दन को मिलाकर खाने का भी बडा महत्व है।
03- भविष्य पुराण में कहा गया है कि एक बार नारद जी से महराज युधिष्ठिर से कहा कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सब लोगों को अभयदान देना चाहिये। जिससे सम्पूर्ण प्रजा उल्लासपूर्वक हंसे और उत्सव मनाए।
कब है होली
ऋषिकेश हिन्दी पंचाग के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 06 मार्च 2023 को दोपहर बाद 3 बजकर 56 मिनट से प्रारभ्भ होकर मंगलवार को 07 मार्च 2023 शाम 5. बजकर 39 मिनट पर ही समाप्ति हो रही है। इस दो दिन की पूर्णिमा में पहले दिन प्रदोषकाल की पूर्णिमा है। दूसरे दिन उदयाथिति की पूर्णिमा है। अतः फाल्गुन शुक्ल पक्ष मंगलवार को प्रदोषकाल में पूर्णिमा न मिलने के कारण पूर्व दिन सोमवार दिनांक 06 मार्च 2023 को रात्रि में 12 बजकर 23 मिनट से रात 01 बजकर 35 मिनट में होलिका दाह होगा। मान्यता है कि पूणिमा की रात में ही होली जलाई जाती है दिन में नही और पूर्णिमा की रात 06 मार्च 23 को ही है। 07 मार्च की सूर्यास्त से पूर्व ही पूर्णिमा समाप्ति हो जायेगी। लेकिन होली परम्परानुसार 08 मार्च 2023 को ही खेली जायेगी। चूकि होली दाह से लोगो को 02 दिन का समय मिलेगा अतः दोनों दिन होली खेली जायेगी।
राशि अनुसार करें रंग का चयन
राशि के अनुसार रंग चुन कर सर्वप्रथम प्रत्येक व्यक्ति को अपने ईष्ट से होली खेलनी चाहिए, फिर अन्यत्र होली खेले।
01 – मेष और वृश्चिक राशि का रंग लाल और नारंगी है जो शुभता का प्रतीक।
02- वृष और तुला राशि का रंग सफेद और सिल्वर है जो शाति का प्रतीक है।
03- मिथुन और कन्या राशि का रंग हरा है जो प्रकृति का प्रतीक सौम्यता का प्रतीक है।
04- कर्क राशि का रंग सफेद है जो उज्जवलता का प्रतीक है।
05- सिंह राशि का रंग लाल पीला जो खुशी का प्रतीक है।
06- मकर और कुभ राशि का रंग काला नीला जो शनि देवता का प्रतीक है।
07- धनु और मीन राशि का रंग पीला और केशरिया है जो विष्णु भगवान को सर्वप्रिय है।
2023-24 में किसके लिए कैसा रहेगा यह पर्व
01-मेष राशि: आय के स्त्रोत बढेगे धन कर व्यय अच्छी जगह होगें।
02-वृष राशि: मातृ पक्ष से सुख शत्रुओं का नाा रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
03-मिथुन राशि: पिता से लाभ धर्मकार्य में रूचि बढेगी अपने उच्चअधिकारियों से सम्बन्ध अच्छे बनेंगे।
04-कर्क राशि: भूमि भवन से लाभ लेकिन स्वास्थ्य का ख्याल रखना पडेगा।
05-सिंह राशि: जीवन साथी के पक्ष से खुाखबरी मिल सकती है भाग्य साथ देगा।
06-कन्या राशि: वाणी पर नियत्रण रखना होगा शत्रु पर विजय प्राप्त होगी कुछ अच्छा होने की पूर्ण योग।
07-तुला राशि: समाजिक प्रतिष्ठा बढेगी विपरीति राजयोग का लाभ मिलेगा।
08-वृश्चिक राशि: प्रतियोगी परिक्षाओ में सफलता वाहन माकान का सुख प्राप्त होगा।
09-धनु राशि: पराक्रम के साथ साथ भाग्य में वृघि होगी माता का सुख प्राप्त होगा।
10-मकर राशि: पिता और बडो का आशीर्वाद प्राप्त होगा धन योग बन रहे है।
11-कुभ्भ राशि: कोई नया कार्य प्रारभ्भ होगा भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा बनेगी।
12-मीन राशि: मनचाहे कार्य बनेगें पराक्रम में वृघि होगी लेकिन शत्रुओं से सावधान रहने की आवयकता है।
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