डीलिस्टिंग के लिये दिल्ली तक पैदल जाने को तैयार जनजाति समुदाय
जय जोहार की लड़ाई के लिये डीलिस्टिंग गर्जना महारैली में किया आर-पार का आह्वान
कहा कन्वर्टेडों को न मिले जनजातियों के लिये संविधान सुनिश्चित लाभ
भोपाल। डीलिस्टिंग जनजाति समाज के जीवन मरण का प्रश्न है। हम इसके लिए दिल्ली पैदल जाने को भी तैयार हैं। हजारों जनजातीय समुदाय के बीच राजधानी में यह कहना है जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक राजकिशोर हंसदा का। वह भेल दशहरा मैदान में शुक्रवार जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा आयोजित गर्जना डीलिस्टिंग महारैली को बतौर वक्ता संबोधित कर रहे थे। यहां उन्होंने कन्वर्ट हुए लोगों के आरक्षण प्राप्त करने को पाप बताते हुए सरकार से डीलिस्टिंग की मांग की और कहा कि जिन्होंने अपनी संस्कृति, अपनी मूल पहचान छोड़ दी उन्हें जनजाति के अधिकारों से वंचित किया जाना चाहिए। इस दौरान प्रदेश भर से आये जनजातीय समुदाय के पदाधिकारी मौजूद थे।
इसके पहले उन्होंने कहा कि भारत का संविधान, न्यायालयों के निर्णय और जनगणना बताती है कि ईसाई जनजाति समुदाय के नहीं हैं। आदिवासी हिन्दू समाज का अंग हैं। धर्मान्तरितों को जनगणना में भी आदिवासी की संज्ञा नहीं दी गई है। इसके बाद भी नौकरी आदि में अधिकांश कन्वर्टेड लोग ही लाभ ले रहे हैं। यह जनजातीय वर्ग के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। इसलिये सरकार को इस संबंध में तुरंत निर्णय लेने की आवश्यकता है। जबकि जनजाति सुरक्षा मंच के आमंत्रित सदस्य सत्येंद्र सिंह ने कहा कि अपनी मूल पहचान छोड़ चुके अवैध लोग 70 साल से जनजातीय वर्ग के हम लोगों का अधिकार छीन रहे हैं। जनजाति समुदाय के लोग दशकों से डीलिस्टिंग के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यदि अब भी बात नहीं सुनी गई तो भोपाल के बाद आगे हम दिल्ली से भी ललकारेंगे। भगवान इसमें हमारी सहायता करेगा। जबकि जनजाति समुदाय के प्रकाश उइके ने मौजूदा समय की परिस्थितियों को सामने रखते हुए कहा हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। क्योंकि जनजाति समुदाय के बच्चों का अधिकार कोई और हड़प रहा है। यहां जनजाति समुदाय ने हाथ उठाकर दिल्ली तक मार्च करने का संकल्प दोहराया। जबकि नरेंद्र सिंह मरावी ने भी कहा कि यदि सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो आने वाले समय में हम दिल्ली कूच करेंगे। मंच पर पूर्व राज्यसभा सांसद श्रीमती संपतिया उइके, कालूसिंह मुजाल्दा, मणिकट्टम जी, प्रकाश उइके, श्याम सिंह कुमरे, नरेंद्र सिंह मरावी, भगतसिंह नेताम, छतरसिंह मंडलोई, श्रीमती अंजना पटेल, योगीराज परते, अर्जुन मरकाम, डॉ महेंद्र सिंह चौहान भी मंचासीन थे।
मांगे नहीं मानी तो पैदल ही करेंगे दिल्ली कूच
जनजातीय सुरक्षा मंच के हितचिंतक व सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्याम सिंह कुमरे ने चेतावनी देते हुए कहा कि जनजातीय समुदाय सरकार के सामने लगातार इस मुद्दे को उठा रहा है। यदि इस मुद्दें को जल्द ही पूरा नहीं किया गया तो जनजातीय समुदाय पैदल ही दिल्ली कूच के लिये बाध्य होगा। उन्होंने आश्चर्य जताया कि इस मामले में गठित हुई संयुक्त संसदीय समिति की अनुशंसा को भी सरकार ने दरकिनार किया है। इसलिये अब लड़ाई रूकने वाली नहीं है।
हम धर्म के नहीं व्यवस्था के विरोध में हैं
पूर्व राज्यसभा सांसद संपत्तिया उईके ने मंच से अपनी बात रखते हुए यहां स्पष्ट किया कि हम किसी धर्म के विरोध में नहीं है बल्कि उस व्यवस्था के विरोध में है जो वास्तविक अधिकार से जनजातियों को ही वंचित कर रही है। उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 342 में यह प्रावधान करने का समय आ गया है कि जनजातियों के लिये सुनिश्चित अधिकार धर्मांतरितों के लिये प्रतिबंधित किये जाते हैं।
्पारंपरिक लोकनृत्यों की प्रस्तुति
कार्यक्रम के दौरान जनजातीय समाज के समूहों ने अलग-अलग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। मंडला से आए जगत सिंह मरकाम ने गीत के माध्यम से समाज की वेदना को जहां व्यक्त किया। वहीं छिंदवाड़ा और झाबुआ के दल ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों पर लोक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। प्रस्तुति का यह सभा से पूर्व ही नहीं रैली के दौरान भी अनवरत रूप से जारी रहा। लोगों के बीच यह आकर्षण का केंद्र रहा और वह सड़क किनारे खड़े होकर इसका आनंद लेने से नहीं चूके।
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