हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि बहुत विशेष और महत्वपूर्ण बताई गई है. एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है. साल भर में 24 एकादशी पड़ती है. हर एकादशी का अपना महत्व है. इन्हीं में एक जया एकादशी भी है. हर महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जया एकादशी कही जाती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी पर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. इस दिन व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी के दिन जो भी भगवान विष्णु जी की पूजा-उपासना करता है उसके जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं. साथ ही जीवन सुखमय हो जाता है. जया एकादशी के व्रत को रखने के सही नियम हिंदू धर्म शास्त्रों में बताए गए हैं. आइए जानते हैं कि जया एकादशी के व्रत को रखने के सही नियम क्या हैं. साथ ही इस दिन भगवान विष्णु को किस प्रकार प्रसन्न किया जा सकता है.
कब है जया एकादशी व्रत ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 7 फरवरी को रात 9 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 8 फरवरी को रात 8 बजकर 15 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी को रखा जाएगा.
कैसे रखें जया एकादशी व्रत
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, जया एकादशी के व्रत से पहले पड़ने वाली दशमी तिथि को थोड़ा खाना या सिर्फ फल खाना चाहिए, ताकि जया एकादशी के व्रत के दिन पेट में कोई अवशिष्ट खाना नहीं बचे.
जया एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लेने चाहिए.
फिर दिनभर फलाहार व्रत रखना चाहिए.
इस व्रत में अनाज के सेवन की मनाही है.
इस व्रत में रात के समय जागरण करना चाहिए.
अगले दिन द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद ही शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करना चाहिए.
पूजा विधि
जया एकादशी के दिन सुबह भगवान विष्णु का तिल से अभिषेक करना चाहिए.
इसके बाद भगवान विष्णु को पीला चंदन लगाना चाहिए.
पूजा के समय पीला कनेर, तुलसी, बेसन के लड्डू, भगवान को अर्पित करने चाहिए.
इस दिन तुलसी माता पर जल चढ़ाना वर्जित किया गया है.
14 मुखी दिया जलाना चाहिए. जया एकादशी व्रत की कथा भी अवश्य सुननी चाहिए.
श्री हरि भगवान विष्णु का भजन, स्मरण और मंत्रों का जाप करना चाहिए.
अंत में श्री हरि भगवान विष्णु की आरती करनी चाहिए.
इस दिन अन्न, वस्त्र, जूते, दूध, दही, घी, शक्कर और तिल का दान बहुत शुभ माना गया है.
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