30 सीटों पर खेल बिगाडेंगे तीसरे धड़े के दल
भाजपा और कांग्रेस के वोट बैंक में लगाएंगे सेंध

भोपाल। विधानसभा चुनाव में तीसरा धड़ा कांग्रेस और भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकता है। इन दलों द्वारा चयनित उम्मीदवारों को देखते हुए यह अनुमान इसलिये भी लगाया गया है क्योंकि, बसपा, सपा और आप जैसे दलों ने सबसे ज्यादा भाजपा और कांग्रेस से आए बागियों को ही मैदान में उतारा है।
हालांकि इनमें कई निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिये नामांकन दाखिल कर चुके है, लेकिन पाला बदलकर बसपा, सपा और आम आदमी पार्टी का दामन थामने वाले प्रत्याशियों को इनकी अपेक्षा अधिक प्रभावी माना जा रहा है। क्योंकि यह अपने पुराने दल का वोट काटते हुए नजर आ रहे हैं। यह भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों के परंपरागत वोट माने जाते हैं। यह बात अलग है कि चुनाव चिंह के साथ सौगात में मिले मौजूदा दल के परपंरागत वोटों के जुड़ने के बाद भी अधिकांश जीतने की स्थिति में नजर नहीं आ रहे हैं। बावजूद इसके यह असंतुष्ट 230 में करीब 30 से ज्यादा सीटों का नुकसान करने की स्थिति में माने जा रहे हैं। यह स्थिति ग्वालियर-चम्बल, विंध्य और बुंदेलखंड ही नही महाकौशल और मध्य के साथ मालवा और निमाड़ की सीटों में सामने आ रही है।
बंट जाते हैं 18 प्रतिशत वोट
बागियों और निर्दलीयों के कारण करीब 18 प्रतिशत वोट बंट जाते हैं। जबकि प्रत्याशियों की जीत का आंकड़ा 1 प्रतिशत वोट के अंतर को भी नहीं छू पाता है। बीते 2018 के चुनावों में 13 से अधिक सीटें ऐसी रही हैं जिनके जीत का अंतर एक प्रतिशत से भी कम रहा है। क्योंकि नोटा और निर्दलीय प्रत्याशियों के इतर 19.11 लाख वोट बसपा और 2.53 लाख वोट आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों ने समेट लिये थे। इस चुनाव में 3.81 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।
कहां से किसके कितने प्रत्याशी
विधानसभा चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी गोगपा के साथ मैदान में आई है। गठबंधन के बाद इसके प्रत्याशियों की संख्या जहां 178 है। वहीं 52 पर गोंगपा के उम्मीदवार हैं। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी ने 99 और आम आदमी पार्टी ने लगभग 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। इन दलों ने प्रमुख स्थानों पर भाजपा और कांग्रेस के बागियों को लड़ाकर स्थिति मजबूत करने का प्रयास किया है।
बुंदेलखंड की 26 सीटों में भाजपा और कांग्रेस के कई दावेदार निर्दलीय या दूसरे दलों के सहारे उतरकर खेल बिगाड़ने के लिये कमर कस चुके हैं।
इससे दोनो ही दलों को नुकसान के कयास लगाए जा रहे हैं। इनमें सागर में आप में गए मुकेश जैन ढ़ाना, बंडा में सुधीर यादव, कांग्रेस से बसपा में शामिल हुए छतरपुर के नीलमणी सिंह, बिजावर में भाजपा से सपा से गईं रेखा यादव, टीकमगढ़ से पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव जहां भाजपा का वोट बैंक प्रभावित कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिये भी चुनौतियां कम नहीं है। खरगापुर से अजय सिंह यादव जहां निर्दलीय लड़कर नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं भक्ति तिवारी और जतारा से अनीता खटीक कांग्रेस के लिये चुनौती बन सकती हैं। बागियों ने विंध्य में भी मुकाबले को रोचक बना दिया है। सर्वाधिक चर्चा में रही मैहर सीट से नारायण त्रिपाठी भाजपा और कांग्रेस के बजाय विंध्य जनता पार्टी से मैदान में है। वहीं सतना से रत्नाकर चतुर्वेदी बीजेपी से बागी होकर बसपा के टिकट पर जनता के बीच गए हैं। त्योंथर से देवेंद्र सिंह बसपा और सीधीसे बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला निर्दलीय चुनाव में है। नागौद में भाजपा के गगनेंद्र सिंह भी बागी- पार्टी को नुकसान पहुंचाएंगे। जबकि पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह कांग्रेस के वोट बसपा में डलवाने एड़ी चोटी का जोर लगाते हुए दिखाई देंगे। देवतालाब सीट पर कांग्रेस के सीमाजयवीर सिंह सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही है।
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