अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अपने 50 वर्षीय रो बनाम वेड के फैसले को पलट दिया है। इसी फैसले के आने के बाद अमेरिकी महिलाओं के लिए गर्भपात के हक का कानूनी दर्जा खत्म हो गया है। पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। हालांकि राहत की बात यह है कि अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात को लेकर अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान गर्भपात का अधिकार प्रदान नहीं करता है। 1973 में 'रो बनाम वेड' फैसले के बाद से अमेरिका में लीगल तरीके से लगभग पांच करोड़ अबॉर्शन करवाए गए थे। वहीं, सिर्फ 2020 में ही हर 5 में से एक अमेरिकी महिला ने अबॉर्शन कराया था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 50 साल पहले का 'रो बनाम वेड' का मामला क्या था।
क्या है 'रो बनाम वेड' कानून ?
नोर्मा मैककॉर्वी जिन्हें अब 'जेन रो' के नाम से जाना जाता है, उन्होंने 1969 में अबॉर्शन को लीगल कराने के लिए लड़ाई लड़ी थी।
जेन रो ने जब अबॉर्शन को लीगल कराने करने के लिए याचिका दायर की थी, तब सरकारी वकील हेनरी वेड ने विरोध में जिरह की थी। इस वजह से इस मामले को दुनिया भर में 'रो बनाम वेड' से जाना जाने लगा।
भारत में गर्भपात कानून की क्या स्थिति है?
दुष्कर्म पीड़ित, कौटुंबिक व्यभिचार की शिकार या नाबालिग 24 हफ्ते तक गर्भपात की इजाजत है। ऐसी महिलाएं जिनकी वैवाहिक स्थिति गर्भावस्था के दौरान बदल गई हो (विधवा हो गई हो या तलाक हो गया हो) और दिव्यांग महिलाओं को भी 24 हफ्ते तक गर्भपात अधिकार है। अगर भ्रूण में कोई ऐसी विकृति या गंभीर बीमारी हो, महिला की जान का खतरा हो, तो भी 24 हफ्ते में गर्भपात का अधिकार है। यदि ठोस वजह ना होने पर भी गर्भपात कराया जाता है तो पकड़े जाने पर 3 साल की सजा हो सकती है। यदि इसमें महिला की सहमति नहीं है तो दोषी को 10 साल या उम्र कैद की भी सजा हो सकती है।
जापान में
जापान में प्रेग्नेंसी के 21 सप्ताह और 6 दिनों तक गर्भपात कानूनी है। हालांकि जापान और बाकी दुनिया के गर्भपात कानूनों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि गर्भपात कराने से पहले जापान में बच्चे के पिता की सहमति आवश्यकता होती है।
सऊदी अरब
सऊदी अरब में गर्भपात की अनुमति तभी दी जा सकती है, जब महिला की जान बचानी जरुरी हो। हालांकि इसके लिए भी महिला को अपने पति की अनुमति लेनी जरूरी होती है।
यहां है प्रतिबंध
इराक, मिस्र,सूरीनाम, पौलेंड, माल्टा, फिलीपींस जैसे 26 देश हैं दुनिया में, जहां गर्भपात कराना महिलाओं के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यहां ऐसा करना पूरी तरह प्रतिबंधित है, फिर चाहे महिला या बच्चे की जान पर ही क्यों ना बन रही हो।
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