उत्तर प्रदेश

सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ताल ठोकने वाली महिला प्रत्याशी रो-रोकर जनता से मांग रही वोट

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गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ताल ठोकने वाली महिला प्रत्याशी रो-रोकर जनता से वोट मांग रही हैं। समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी भाजपा नेता स्व. उपेन्द्र शुक्ला की पत्नी सुभावती शुक्ला पूरे शहर में घर-घर जाकर वोट मांग रही हैं। जहां भी वो जा रही हैं, वो अपने पति का नाम लेकर भावुक हो जा रही हैं। अखिलेश यादव  का रोड शो हो या फिर अन्य जनसभाओं में जब भी ये सामने आई हैं, जनता को उनका भावुक चेहरा ही नजर आया है।

रविवार को हुए सपा के रोड शो में भी सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सुभावती शुक्ला के आंसूओं को दिखाकर ही जनता से वादा भी लिया है कि इनके आंसू आप वोट देकर रोकेंगे। जिस दिन से सपा ने सुभावती शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया है, उस दिन से ही उनके आंसू रह-रहकर कहीं भी निकल जा रहे हैं। वहीं साथ खड़े परिवार के लोग उन्हें हर जगह चुप कराते दिख रहे हैं। आइए जानते हैं सुभावती शुक्ला का राजनीतिक करियर क्या था और वो इस चुनाव में योगी के खिलाफ कहां दिख रही हैं।

सपा ने योगी को टक्कर देने के लिए सुभावती शुक्ला को मैदान में उतारा है। इन्होंने अभी एक महीने पहले ही समाजवादी पार्टी का दामन थामा है। इनके पति स्वर्गीय उपेंद्र दत्त शुक्ला भारतीय जनता पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। जब उनका निधन हुआ इसके बाद बीजेपी और सीएम योगी की उपेक्षा से आहत होकर पत्नी सुभावती शुक्ला ने सपा का दामन थाम लिया। जिस दिन सुभावती ने राजधानी में जाकर सपा ज्वाइन कीं, उसी दिन से उनके प्रत्याशी बनने की चर्चा शुरू हो गई। तमाम अटकलों के बाद सपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार भी बनाया।

योगी से लेंगी पति के अपमान का बदला
सपा प्रत्याशी सुभावती चुनाव कैंपेन के दौरान ये चुनौती देती रही हैं कि वो योगी आदित्यनाथ को हराकर अपने पति का सम्मान वापस लाएंगी और अपमान का भी बदला लेंगी। वहीं बात इनके राजनीतिक करियर की करें, तो सुभावती शुक्ला का अपना खुद का कोई राजनीतिक संघर्ष या पहचान नहीं है। ये पूरी तरह से घरेलू महिला रही हैं। उपेंद्र दत्त शुक्ला जैसे प्रखर और मजबूत बीजेपी नेता की पत्नी होना ही इनकी पहचान है।

सपा से हार गए थे उपेन्द्र शुक्ला
उपेंद्र शुक्ला योगी आदित्यनाथ के उत्तराधिकारी के रूप में साल 2018 का लोकसभा उपचुनाव गोरखपुर से लड़े थे। लेकिन 26 हजार वोटों से इन्हें समाजवादी पार्टी से हार का सामना करना पड़ा था। यही हार उपेंद्र शुक्ला के जीवन के लिए काल बन गई। वो स्वास्थ्य से परेशान होते चले गए। करीब 20 महीने पहले हार्ट अटैक से उपेंद्र शुक्ला का निधन हो गया। सुभावती और उपेंद्र शुक्ला के 2 बेटे अरविंद और अमित शुक्ला हैं। पिता की मौत के बाद मां के साथ उनके दोनों बेटे लगातार संघर्षों में बने रहे।

सुभावती ने लगाया उपेक्षा करने का आरोप
सुभावती शुक्ला और उनके बच्चों का सबसे बड़ा दुख इस बात का था कि योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के लिए उपेंद्र शुक्ला दिन रात एक करते थे। पुलिस की लाठियां खाये, जेल में भी रहे। फिर बीजेपी और योगी मिलकर उन्हें 2018 का लोकसभा उपचुनाव में जीत क्यों नहीं दिला पाए। जबकि खुद योगी इस सीट को तीन लाख से अधिक मतों से जीतते थे। जबकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बाहरी नेता और अभिनेता के रूप में रवि किशन ने करीब 4 लाख वोटों से इस सीट को जीत दर्ज किए थे।

उपेन्द्र शुक्ला की मौत से बढ़ गया गम
चुनावी हार के सदमे में यह परिवार तो था ही, लेकिन उपेंद्र दत्त शुक्ला की मौत से इनका गम और बढ़ गया। राजनीतिक पाला बदलने के लिए यह परिवार तब मजबूर हुआ, जब उसे लगा कि बीजेपी और योगी उनके परिवार की जरा भी चिंता नहीं कर रहे हैं। फिलहाल चुनाव में इस बार हर सीटों पर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। वहीं योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को रोड शो कर अपनी जो ताकत दिखाई है, उससे विरोध में लड़ रहे प्रत्याशियों का मनोबल काफी डाउन हो गया है।

सपा को नहीं मिला समाजवादी
गोरखपुर में हम बात करें तो समाजवादी पार्टी की तो पूरे पांच साल विपक्ष में रहते हुए यहां के कार्यकर्ता काफी एक्टिव रहे हैं। सरकार के विरोध में कई मुद्दे पर प्रदर्शन भी करते रहे हैं। विधानसभा चुनाव का समय आते ही गोरखपुर शहर से कई सपा नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन भी किया, उन्हें पता था कि पांच साल लगातार पार्टी से जुड़कर सुप्रीमों के हर आदेश का पालन करते रहे हैं, तो उन्हें टिकट जरूर मिलेगा। लेकिन अचानक सपा ने एक महिने पहले भाजपा नेता की पत्नी को टिकट देकर सारे नेताओं के मंसूबे पर पानी फेर दिया। राजनीतिक जानकारों की मानें तो सपा सुप्रीमों को गोरखपुर में समाजवादी पार्टी में ऐसा कोई चेहरा नहीं दिखा, जो योगी को टक्कर दे सके। इसलिए सपा सुप्रीमों ने भाजपा नेता की पत्नी को टिकट दिया।

 

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