नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में 1 जुलाई से लागू हुए 'एंड ऑफ लाइफ व्हीकल' (ELV) नियमों के तहत की जा रही वाहनों की जब्ती पर फिलहाल रोक लग सकती है. दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने राजधानी में लागू किए जा रहे ELV नियम को लेकर CAQM (Commission for Air Quality Management) को औपचारिक पत्र लिखकर इसकी प्रमुख खामियों को उजागर किया है और फिर से समीक्षा करने की मांग की है.
सरकार ने कहा कि वर्तमान में दिल्ली में इस नियम को लागू करना संभव नहीं है, क्योंकि इससे जनता को असुविधा हो रही थी और व्यवहारिक कठिनाइयां सामने आ रही थीं. दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि जब तक पूरे एनसीआर (NCR) क्षेत्र में यह नियम समान रूप से लागू नहीं होता, तब तक दिल्ली में इसे प्रभावी रूप से लागू नहीं किया जाएगा.
बता दें कि पुराने वाहनों की जब्ती को लेकर दिल्ली सरकार घिरी हुई थी. विपक्षी दलों ने इसपर सवाल उठाते हुए रेखा सरकार को घेरा था. दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए इस नियम को जरूरी बताया था. लेकिन अब इसकी खामियां गिनाकर वह खुद बैकफुट पर नजर आ रही है.
नई व्यवस्था पर काम कर रही है दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि हम ‘एंड ऑफ लाइफ व्हीकल’ को लेकर एक नई प्रणाली (New System) विकसित कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य है कि दिल्ली का वायु प्रदूषण भी न बढ़े और साथ ही दिल्ली के नागरिकों की गाड़ियां भी जब्त न हों. गाड़ियों को केवल उम्र के आधार पर नहीं, बल्कि उनके प्रदूषण स्तर के आधार पर चलने या बंद करने का निर्णय लिया जाएगा.
बिना तैयारी नियम लागू करना जनता पर बोझ: प्रवेश वर्मा
रेखा गुप्ता सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रवेश वर्मा ने भी आम जनता की परेशानी का मुद्दा उठाया है. उन्होंने इस नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली के लोग पहले से ही ट्रैफिक और प्रदूषण को लेकर दबाव में हैं, ऐसे में बिना पर्याप्त तैयारी के यह नियम लागू करना जनता पर और बोझ डालने जैसा है.
प्रवेश वर्मा ने कहा कि गाड़ियों को उनकी उम्र नहीं, बल्कि उनके पॉल्यूशन स्टेटस को देखकर उसके आधार पर रोका जाना चाहिए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभी गुरुग्राम और नोएडा जैसे एनसीआर क्षेत्रों में यह नियम लागू नहीं है, फिर दिल्ली पर ही अचानक इसे लागू क्यों कराया गया है. दिल्ली सरकार इस नियम को लेकर विचार कर रही है.
दिल्ली सरकार और CAQM के बीच होने जा रही है बैठक
प्रवेश वर्मा ने जानकारी दी कि इस मुद्दे को लेकर दिल्ली सरकार और Commission for Air Quality Management (CAQM) के बीच बैठक होने जा रही है, जहां इस नियम को लेकर पुनः विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा, “हम चाहेंगे कि इस पर व्यापक बातचीत हो. जब पूरे एनसीआर में नियम लागू होंगे, तभी दिल्ली में इसे प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए.” उन्होंने ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन) कैमरों को लेकर भी चिंता जताई और कहा कि इस टेक्नोलॉजी को लागू करना आसान नहीं है. इसमें कई तकनीकी और व्यावहारिक समस्याएं हैं.
हाईकोर्ट का दखल- दिल्ली सरकार और CAQM से मांगा जवाब
बुधवार को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और CAQM से जवाब मांगा है. दरअसल, Delhi Petrol Dealers Association ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उन्हें 'एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल' को ईंधन न देने के निर्देशों का पालन करवाने की कानूनी शक्ति नहीं है, फिर भी अगर कोई गाड़ी छूट जाए, तो उन्हें सजा दी जा रही है. याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने अदालत में कहा, 'पेट्रोल पंप डीलर कानून प्रवर्तन एजेंसी नहीं हैं, उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपना नियम के खिलाफ है.' कोर्ट ने सरकार और CAQM को सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा कि यदि पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई की जाती है, तो उसे अदालत के संज्ञान में लाया जाए.
क्या है नियम?
बता दें कि CAQM के निर्देश के अनुसार, दिल्ली में 1 जुलाई 2025 से 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को फ्यूल न देने का आदेश है. दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग और पुलिस इसके लिए संयुक्त रूप से निगरानी कर रही है. हालांकि, CNG गाड़ियों को इस आदेश से छूट दी गई है. साथ ही कहा गया है कि यदि कोई पेट्रोल पंप ऐसे वाहनों को ईंधन देता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
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