आजकल वास्तु के संबंध में लोगों में काफी भ्रम एवं असमंजस की स्थिति है। वास्तु शास्त्र का मूल आधार भूमि, जल, वायु एवं प्रकाश है, जो जीवन के लिए अति आवश्यक है। इनमें असंतुलन होने से नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है। वास्तु के नियमों का पालन न करने पर व्यक्ति विशेष के स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि उसके रिश्ते पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
बेडरूम
उत्तर दिशा में बना बेडरूम भाग्यशाली होता है।
डाइनिंग रूम
डाइनिंग एरिया में हल्का हरा या हल्का नीला रंग करें।
डाइनिंग टेबल पर या ग्रुप में बैठकर भोजन करते हों तो दिशाओं पर ध्यान न दें, पर घर के मुखिया या विशेष मेहमान का मुंह पूर्व दिशा में अवश्य होना चाहिए एवं वह स्थान कभी खाली नहीं रहना चाहिए। स्वामी के अभाव में उस ग्रुप में जो प्रमुख हो, वह वहां बैठे।
मंदिर
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में कभी भी ऐसी मूर्तियां न रखें जो खंडित या टूटी अवस्था में हो।
किचन और वॉशरूम
किचन और शौचालय कभी भी आमने-सामने नहीं होने चाहिए। किचन के दरवाजे के सामने चूल्हा नहीं होना चाहिए, इस से वास्तु दोष होता है। वॉशरूम ईशान कोण की किसी भी दीवार से लगा हुआ नहीं होना चाहिए।
डस्टबिन
घर के उत्तर-पूर्व कोने में कभी भी डस्टबिन न रखें।
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