नई दिल्ली
भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान और भारत के फुटबॉल आइकन सुनील छेत्री ने गुरुवार को रिटायरमेंट का ऐलान किया है। उन्होंने घोषणा की कि वह 6 जून को कुवैत के खिलाफ फीफा विश्व कप क्वालीफिकेशन मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास ले लेंगे। राष्ट्रीय टीम के कप्तान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में अपने फैसले को शेयर किया। छेत्री ने भारत के लिए 145 मैच खेले हैं, जिसमें 20 साल के करियर में 93 गोल किए हैं। वह इंटरनेशनल फुटबॉल में सबसे अधिक गोल करने वाले टॉप-5 की लिस्ट में चौथे नंबर पर हैं।
उन्होंने कहा- एक दिन ऐसा है जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता और अक्सर याद रखता हूं कि यह पहली बार था जब मैंने अपने देश के लिए खेला था। यह अविश्वसनीय था। एक दिन पहले सुबह मेरे पहले राष्ट्रीय टीम के कोच सुखी सर मेरे पास आए और उन्होंने कहा- तुम शुरू करने जा रहे हो? मैं आपको नहीं बता सकता कि मैं कैसा महसूस कर रहा था। मैंने अपनी जर्सी ली। उस पर कुछ परफ्यूम छिड़का… मुझे नहीं पता कि क्यों।
उन्होंने आगे कहा- एक बार उन्होंने मुझे बताया नाश्ते से लेकर दोपहर के भोजन तक और खेल तक और मेरे डेब्यू में पहला गोल करने से लेकर 80वें मिनट के अंत में गोल खाने तक, वह दिन शायद ऐसा है जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा और यह मेरी राष्ट्रीय टीम की यात्रा के सबसे अच्छे दिनों में से एक है। छेत्री ने कहा- आप जानते हैं कि पिछले 19 वर्षों में मुझे जो एहसास हुआ, वह कर्तव्य के दबाव और अपार खुशी के बीच एक बहुत अच्छा संयोजन है।
मेरे लिए यह अजीब था, लेकिन सोचकर फैसला लिया
अपने खेल को लेकर उन्होंने कहा- मैंने व्यक्तिगत रूप से कभी नहीं सोचा था कि मैं इस लेवल तक पहुंचूंगा। देश के लिए खेलूंगा। पिछले डेढ़-दो महीनों में मैंने यह किया और यह बहुत अजीब था। मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि शायद मैं इस निर्णय की ओर बढ़ रहा था। अगला मैच मेरा आखिरी खेल होगा।
बताया तो मां और वाइफ रोने लगी, पिता खुश हैं…
उन्होंने आगे कहा- और जिस पल मैंने सबसे पहले अपने आप से कहा हां- यह वह मैच है जो मेरा आखिरी होने वाला है, तभी से मुझे सब कुछ याद आने लगा। यह बहुत अजीब था। मैंने इस खेल, कोच, अच्छा खेला, बुरा खेला, ये मैदान, वो मैदान… हर किसी चीज के बारे में सोचना शुरू कर दिया..। मैंने अपनी मां, अपने पिता और पत्नी… अपने परिवार को पहले बताया। जब बताया तो मेरे पिता सामान्य थे। उन्हें राहत मिली। खुश थे, लेकिन मेरी मां और मेरी पत्नी सीधे रोने लगीं। वे फूट-फूटकर रोने लगे। ऐसा नहीं है कि मैं थका हुआ महसूस कर रहा था, ऐसा नहीं है कि मैं कुछ और महसूस कर रहा था, लेकिन यह मेरा आखिरी मैच होगा, इसके बारे में बहुत सोचा।
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