पाकिस्तान की सैन्य सहायता तत्काल बंद करो, अमेरिकी सांसदों ने गिना दीं पाक की करतूतें
इस्लामाबाद
पाकिस्तान की करतूतों और राजनीतिक भविष्य को देखते हुए अमेरिका के 11 सांसदों ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को पत्र लिखकर तत्काल सैन्य सहायता रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में जब तक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से निष्पक्ष रूप से चुनाव नहीं संपन्न नहीं हो जाते और एक स्थायी सरकार का गठन नहीं हो जाता, उसे सहायता देना ठीक नहीं है। सांसदों ने अमेरिका से मिलने वाली मदद के गलत इस्तेमाल की आशंका जाहिर की है। इसके अलावा पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार और ईशनिंदा के कड़े कानून पर भी सांसदों ने आपत्ति जाहिर की है। बता दें कि इमरान खान को हटाने के बाद शहबाज शरीफ की सरकार पाकिस्तान में थी। हालांकि इस समय पाक में कार्यवाहक सरकार है। जल्द ही पाकिस्तान में चुनाव भी कराए जाने हैं और इससे पहले लंदन से नवाज शरीफ पाकिस्तान में पहुंच गए हैं।
जिन सांसदों ने बाइडेन प्रशासन से यह मांग की है उनमें इमरान खान की करीबी इल्हाना ओमर भी शामल है। ओमर की छवि कट्टरपंथी मुसलमान की है। अमेरिकी सांसदों ने कहा कि विदशी सहायता कानून की धारा 502 बी के तहत विदेश मंत्रालय को इस बात का पता लगवाना चाहिए कि अमेरिकी सहायता का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है। इसके अलावा इस मदद का इस्तेमाल मानवाधिकार उल्लंघन में कितना किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में स्वतंत्र चुनाव होने चाहिए जिनमें सभी दल हिस्सा ले सकें।
ईशनिंदा कानून पर कड़ी आपत्ति
सांसदों का कहना है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने के लिए पाकिस्तान में ईशनिंदा के कानून में कड़े प्रावधान किए गए हैं। पाकिस्तान में 2023 में पास होने वाले आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक पर कड़ी आपत्ति है। इसी में ईशनिंदा का कानून भी आता है। पहले भी इसका इस्तेमाल अल्पसंख्यों के विरोध में होता रहा है। अभी इस विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। इस पत्र में 16 अगस्त की घटना का जिक्र किया गया है जिसमें भीड़ ने चर्च में भी आग लगा दी थी। इसके अलावा गिलगित बाल्टिस्तान में शिया समुदाय के लोगों ने भी बिल का विरोध किया है। सांसदों ने कहा कि अगर यह विधेयक कानून बनता है तो पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी। बात दें कि ये सांसद ज्यादातर प्रोग्रेसिव ग्रुप के हैं जो कि फिलिस्तीन का मुद्दा भी उठाते रहते हैं और इस समय गाजा में सीजफायर की मांग कर रहे हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की सरकार ने ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल इमरान खान के खिलाफ भी किया था।
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