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शिवराज के अफसरों ने कोर्ट में कराई सरकार की फजीहत

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अवमानना मामले में कटघरे में खड़े हुए पशुपालन विभाग के जिम्मेदार

भोपाल। अफसरों की लापरवाही ने सरकार की अदालत में जमकर फजीहत कराई  है। मामला पशुपालन विभाग के अनारक्षित वर्ग के अधिकारियों की पदोन्नति से जुड़ा है। फैसले की अवमानना के मामले पर ग्वालियर खंडपीठ उच्च न्यायालय के न्यायधीश रोहित आर्य ने जहां मप्र सरकार के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा को जमकर फटकार लगाई है। वहीं फैसले के अक्षरश: पालन के लिये निर्देशित किया है। बावजूद इसके इस सुनवाई का वायरल वीडियो लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।

https://youtu.be/9kn46PNDrMk


     दरअसल कोर्ट ने बीते मार्च और सितंबर माह में पशुपालन विभाग के अनारक्षित अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए पदोन्नति देने के निर्देश दिये थे। इस फैसले के खिलाफ सरकार ने डबल बेंच में चुनौती दी, लेकिन राहत नहीं मिल पाई। इतना ही नहीं पदोन्नति आरक्षण विवाद का हवाला देते हुए उसने विभागीय पदोन्नति के लिये डीपीसी कराने में भी रूचि नहीं दिखाई। जिसके खिलाफ पीड़ित अधिकारियों ने अदालत में अवमानना का मामला लगाया था। लिहाजा बीते 5 दिसंबर को हुई सुनवाई में पहुंचे प्रमुख सचिव पशुपालन विभाग गुलशन बामरा और प्रभारी संचालक डॉ आरके मेहिया को अदालत ने कटघरे में खड़ा किया और कई सवाल उठाए। इसमें अधिकारियों की योग्यता को लेकर प्रश्नचिंह भी लगाया गया है। इतना ही नही पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव रहे जेएन कंसोटिया को भी बुलाने के लिए कहा। क्योंकि बामरा ने अपने बचाव में कहा था कि वह अभी आए है, जबकि तय समय कोर्ट के निर्णय का परिपालन कराने की जिम्मेदारी श्री कंसोटिया की थी। अदालत ने फैसले के परिप्रेक्ष्य में क्रियांवयन के लिये आगामी 13 दिसंबर का समय दिया है।
 
 कोर्ट की मंशा पर इसलिये भारी विभाग

दरअसल सरकार अनारक्षित अधिकारियों को पदोन्नति देने से बचना चाहती है। वोट बैंक की रणनीति के तहत हालांकि प्रकरण लंबे समय से सुप्रीमकोर्ट में लंबित है। बावजूद इसके सरकार इसका हवाला देकर पूरी तरह से राज्य में पदोन्नति बद कर दी है। क्योंकि हाईकोर्ट जबलपुर ने पदोन्नति में आरक्षण का लाभ लेने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को पदानवति करने के आदेश दिये थे, लेकिन सरकार ने इसे मानने के बजाय अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों की पदोन्नति भी रोक दी। इतना ही नहीं पशुपालन विभाग के 11 चिकित्सकों द्वारा लगाई गई ग्वालियर खंडपीठ के निर्देश को भी नहीं माना। सूत्र बताते हैं कि विभाग अनारक्षित श्रेणी के साथ आरक्षित वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों को पदोन्नति देने की फिराक में है।

स्पीक ने जताई आपत्ति
कोर्ट के निर्णय के परिपालन में पशुपालन विभाग ने डीपीसी की योजना बनाई की है। बीते छह दिसम्बर को सभी अधिकारियों से सीआर मंगा ली गई है। आरक्षण में पदोन्नति के खिलाफ अनारक्षितो की तरफ से लड़ाई लड़ रही कर्मचारी संस्था स्पीक के केएस तोमर ने प्रमुख सचिव से आपत्ति जताई है। क्योंकि विभाग कोर्ट निर्णय को आधार बनाते हुए आरक्षित श्रेणी से इतर ऐसे अधिकारियों को पदोन्नति देने की तैयारी में है, जिन्होंने पदोन्नति में आरक्षण नियम का फायदा उठाते हुए पहले ही दो पदोन्नतियां प्राप्त कर ली है। उन्होंने कहा विभाग का यह प्रयास सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। इसलिये हम इसे हम कोर्ट में चुनौती देंगे।

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