नई दिल्ली
भारत और इंग्लैंड के बीच 5 टेस्ट मैच की सीरीज का चौथा मुकाबला ही इकलौता ऐसा मैच रहा जिसका कोई परिणाम नहीं निकला। मैनचेस्टर में खेला गया टेस्ट ड्रॉ हुआ था और उसके आखिरी सेशन में 'हैंडशेक कंट्रोवर्सी' की काफी चर्चा रही। इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने उस समय मैच को ड्रॉ मानकर जल्दी समाप्त करने की पैंतरेबाजी चली जब रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर दोनों ही अपने-अपने शतक के करीब थे। स्टोक्स ने मैच ड्रॉ की पेशकश करते हुए जडेजा की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन भारतीय ऑलराउंडर ने इससे साफ इनकार कर दिया। इससे चिढ़े स्टोक्स और इंग्लैंड के बाकी खिलाड़ियों ने मजाक उड़ाने के अंदाज में जडेजा पर खूब टिप्पणियां भी की थी और ताना मारे थे।
इस मुद्दे पर क्रिकेट जगत की राय बंटी हुई दिखी थी। ज्यादातर पूर्व क्रिकेटरों और एक्सपर्ट्स ने बेन स्टोक्स की हरकत की आलोचना की थी लेकिन डेल स्टेन जैसे कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने स्टोक्स का समर्थन किया था। सीरीज खत्म होने पर महान सचिन तेंदुलकर ने भी हैंडशेक कंट्रोवर्सी पर खुलकर अपनी बात रखी है। बेन स्टोक्स ने जिस अंदाज में जडेजा और सुंदर के सामने पेशकश रखी, उसकी तेंदुलकर ने आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह सुंदर और जडेजा का सिरदर्द थोड़े है कि वे इसे सुनिश्चित करें कि पांचवें टेस्ट के लिए इंग्लैंड के गेंदबाजों को भरपूर आराम मिले।
सचिन ने भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज का रिव्यू किया है। उन्होंने इससे जुड़ा वीडियो रेडिट पर पोस्ट किया है। उसमें वह हैंडशेक कंट्रोवर्सी पर कहते हैं, ‘वॉशिंगटन ने शतक बनाया और जडेजा ने शतक बनाया। यह सही भावना क्यों नहीं है? वे ड्रॉ के लिए खेल रहे थे।’
उन्होंने आगे कहा, ‘सीरीज जीवंत था तो उन्हें क्यों मानना चाहिए (और हाथ मिलाना चाहिए) और इंग्लैंड के गेंदबाजों और फील्डरों को आराम देना चाहिए? अगर इंग्लैंड हैरी ब्रूक को गेंद थमाना चाहता था तो यह बेन स्टोक्स का फैसला था। यह भारत की समस्या नहीं थी। मेरे लिए, यह ठीक था। वे ड्रॉ के लिए खेल रहे थे, अपने शतकों के लिए नहीं। जब वे बल्लेबाजी के लिए आए तब अगर वे आउट हो गए होते तो हम हार सकते थे। जब वे बल्लेबाजी करने आए तब हैरी ब्रूक बोलिंग नहीं कर रहे थे, क्या वह कर रहे थे? इसलिए, पांचवें टेस्ट के लिए इंग्लैंड के गेंदबाज क्यों तरोताजा रहने चाहिए? क्या आपके पास इसका जवाब है? नहीं!’
सचिन तेंदुलकर ने कहा, 'मैं पूरी तरह भारतीय टीम के साथ हूं। चाहे गंबीर हों या शुभमन या जडेजा या वॉशिंगटन, जिसने भी फैसला लिया। मैं शत प्रतिशत उनके साथ हूं। आखिरी टेस्ट में जब रनों को रफ्तार की जरूरत थी, सुंदर ने शानदार ढंग से उसे अंजाम दिया। क्या उन्होंने नहीं किया? जब क्रीज पर डटे रहने की जरूरत थी, उसने चौथे टेस्ट में यह किया। और जब बेरहमी से और तेजी से रन की जरूरत थी, उसने पांचवें टेस्ट में ऐसा ही किया। शानदार।'
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