बिहार

बिहार में SIR पर बवाल, बांग्लादेश सीमा से सटे 4 जिलों में 7.6 लाख वोटरों के नाम हटाए गए

पटना 

बिहार के सीमांचल जिसमें चार जिले महत्वपूर्ण रूप से आते हैं अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार, की ड्राफ्ट मतदाता सूची में बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने से सियासी हलचल तेज हो गई है। यह क्षेत्र बांग्लादेश और नेपाल की सीमाओं से सटा हुआ है और मुस्लिम बहुल आबादी के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र घुसपैठियों को लेकर हमेशा से संवेदनशील रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अररिया में 1,58,072, किशनगंज में 1,45,668, पूर्णिया में 2,73,920 और कटिहार में 1,84,254 मतादातआों के नाम काट दिए गए हैं। चारों जिलों में मिलाकर 7.6 लाख से अधिक मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, जिससे राजनीतिक हलकों में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं।

सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों पर एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच करीबी मुकाबला देखने को मिलता रहा है। हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र में AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) ने पांच सीटें जीतकर बड़ी उपस्थिति दर्ज कराई थी, जिससे महागठबंधन को बड़ा नुकसान हुआ था। इस बार भी सीमांचल में ध्रुवीकरण की संभावना जताई जा रही है, ऐसे में मतदाता सूची से नाम कटना दोनों गठबंधनों के लिए चुनौतीपूर्ण और रणनीतिक मुद्दा बन गया है।
क्यों कटे इतने नाम?

चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा है कि इस प्रक्रिया के तहत मृत, डुप्लिकेट और दूसरे शहरों या राज्यों में नाम स्थानांतरित करवा लेने वाले मतदाताओं के नाम काटे गए हैं। चूंकि यह क्षेत्र संवेदनशील माना जाता है। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह जनसांख्यिकीय बदलाव को प्रभावित करने का प्रयास हो सकता है। वहीं सत्ताधारी एनडीए का कहना है कि यह साफ और निष्पक्ष चुनाव की दिशा में एक कदम है।

आपको बता दें कि एसआईआर के पहले चरण में, मतदाताओं को या तो बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) या राजनीतिक दलों द्वारा नामित बूथ-स्तरीय एजेंटों (बीएलए) द्वारा ‘‘गणना प्रपत्र’’ प्रदान किए गए थे, जिन्हें उन्हें अपने हस्ताक्षर करके पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार्य दस्तावेज संलग्न करने के बाद वापस करना था।

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