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यूरोपीय देश पोलैंड में अगले साल मई में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं लेकिन देश में बटर की बढ़ती कीमतों ने सरकार की नींद हराम कर रखी है। चुनावों से पहले कीमतों को काबू में करने के लिए सरकार अपने फ्रोजन बटर के भंडार में से 1,102 टन तक बेचने की तैयारी में है। सरकार की स्ट्रैटजिक रिजर्व एजेंसी ने मक्खन की नीलामी की घोषणा की है। उसने कहा कि दूध की कमी के कारण दुनियाभर में मक्खन की कीमतों में तेजी आई है। इस कारण उसे यह कदम उठाना पड़ रहा है। एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि फ्रोजन बटर की नीलामी से देश में मक्खन की कीमतों को स्थिर करने में मदद मिलेगी। नीलामी की प्रक्रिया गुरुवार से शुरू हो गई है।
एजेंसी ने कहा कि वह 25 किलोग्राम के ब्लॉक में बिना नमक वाले फ्रोजन बटर को $7 प्रति किलो की न्यूनतम कीमत पर बेचेगी। यह पोलैंड की प्रमुख सुपरमार्केट चेन में से एक बिड्रोनका की कीमतों से काफी कम है। कंपनी के स्टोर्स में ताजा मक्खन की कीमत $9.84 से $12.32 प्रति किलो के बीचे है। हालांकि नीलामी में अंतिम बिक्री मूल्य न्यूनतम मूल्य से अधिक हो सकता है। सरकारों के आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को कम करने के लिए एमरजेंसी रिजर्व का यूज करना असामान्य नहीं है। हालांकि आमतौर पर विदेशी मुद्रा, तेल और सोने जैसी वस्तुओं के रिजर्व बनाए जाते हैं। कुछ देश खानेपीने की चीजों का भी भंडारण करते हैं।
मक्खन और महंगाई
पोलैंड में हाल के वर्षों में मक्खन की आसमान छूती कीमत महंगाई के प्रतीक बन गई है। प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क की सत्तारूढ़ पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार राफेल ट्रजास्कोव्स्की ने हाल ही में देश के केंद्रीय बैंक पर महंगाई को गलत तरीके से मैनेज करने का आरोप लगाया और गवर्नर को सबूत के तौर पर कुछ मक्खन भेजने की पेशकश की। इस बीच, दक्षिणपंथी विपक्षी पार्टी लॉ एंड जस्टिस के नेता जारोस्लाव कासिंस्की ने इस महीने की शुरुआत में एक्स पर एक तस्वीर पोस्ट की। इसमें मक्खन को तिजोरी में रखा गया था। इसका मकसद यह दिखाना था कि देश में मक्खन कितना महंगा हो गया है।
बुधवार को आए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में पोलैंड में महंगाई 3.9% रही जो यूरोपीय यूनियन की तुलना में काफी ज्यादा है। रिटेल स्तर पर मक्खन की कीमतें पिछले साल की तुलना में लगभग 20% बढ़ी हैं जबकि थोक कीमतें 50% चढ़ गई हैं। यूरोपीय आयोग के अनुसार इस साल यूरोपीय संघ में मक्खन की कीमतों में लगभग 44% की वृद्धि हुई है। इसकी वजह यह है कि दुनिया भर में डेयरी की कीमतें बढ़ी हैं। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा प्रकाशित डेयरी मूल्य सूचकांक एक साल पहले के स्तर से 20% ऊपर था।
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