स्कूल खोलने के निर्णय पर राष्ट्रीय बाल आयोग ने दी चेतावनी
कहा बख्शे नही जाएंगे बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले
भोपाल। घटते कोरोना संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए मप्र सरकार ने स्कूल खोलने का निर्णय लिया है। इसके बाद अभिवावकों की चिंता को देखते हुए राष्ट्रीय बाल आयोग ने भी शख्त तेवर दिखाये हैं। दो टूक शब्दों में उसका कहना है कि संक्रमण की तीसरी लहर का खतरा टला नही है। यदि लापरवाही के चलते किसी एक भी बच्चे को कोरोना हुआ तो इसके दोषी किसी भी स्थिति में बख्शे नहीं जाएंगे।
राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस संबंध में कहा कि केंद्र सरकार से मिले अधिकार के तहत राज्य सरकार परिस्थितियों की समीक्षा के बाद स्कूल खोलने का निर्णय ले सकती है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा की सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी से वह बच नहीं सकती है। ऐसे यदि किसी बच्चे के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी सामने आती है, तो संबंधित स्कूल संचालकों के साथ दूसरे जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से आयोग नहीं चूकेगा। क्योंकि बच्चों की हितों व उनकी सुरक्षा को दरकिनार नही किया जा सकता है।
शिवराज सरकार ने लिया फैसला
दरअसल मप्र की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 26 जुलाई से जहां हाईस्कूल छात्रों के लिए स्कूल खोले जाएंगे, वहीं 15 अगस्त तक तीसरी लहर की स्थिति नहीं रही तो पहली से लेकर 10वीं कक्षा के स्कूल भी खोल दिए जाएंगे। यह फैसला तब सामने आया है जबकि देश के विशेषज्ञ तीसरी लहर की संभावना जताते हुए आम जनता से सावधान रहने की अपील कर रहे हैं और सरकार भी इसके मद्देनजर कई तरह की गतिविधियों पर पाबंदियां लगाए हुए है। नगरीय क्षेत्रों में रात्रि कालीन कर्फ्यू इनमें से एक है।
क्या स्कूल माफिया के दबाव में है सरकार!
सरकार ने इस मामले में तब यू-टर्न लिया है, जबकि सरकार पर दबाव बनाने निजी स्कूल संचालक अनिश्चित कालीन हड़ताल की चेतावनी दे रहे हैं। हालांकि स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने इस बात से इंकार किया है कि सरकार पर निजी स्कूल संचालकों का किसी तरह से दबाव है। बावजूद इसके सवाल यह खड़ा हुआ है कि अभिवावको की इच्छा के विपरीत ऐसा क्या हुआ जो बच्चों की जिंदगी को अनमोल बताकर फिलहाल स्कूल नहीं खोलने का दाबा करने वाली सरकार ने आनन-फानन में अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर हुई है।
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