6000 में अब तक 1692 का ही कर पाया है निर्माण
भोपाल। केंद्र पोषित योजनाओं के क्रियांवयन में अग्रणी रहने वाला मप्र अमृत सरोवर योजना में पिछड़ गया है। क्योंकि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के मुकाबले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना को जमीन पर नहीं उतार पाया है। यह बात दूसरी है कि योजना के क्रियांवयन में जुटे 34 राज्यों में 32 इससे बहुत पीछे चल रहे हैं। बावजूद इसके यहां स्वीकृत हुए 6000 निर्माण कार्यों में यह अब तक मात्र 1692 अमृत सरोवर पूर्ण कर पाया है। जबकि 5374 कार्य प्रगति पर है।
बात इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि मप्र की शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर मिशन के रूप में लेते हुए ग्रामीण विकास विभाग ने इसको जून माह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था। इसके बाद भी मात्र 28.2 प्रतिशत सफलता मिल पाई है। हालांकि इसके पीछे मुख्य वजह मानसून के दौरान हुई अत्यधिक बारिश बताई जाती है। अब यह सवाल खड़े करते हुए इसके कारण तलाशे जा रहे हैं कि प्रदेश से जुड़े पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश की कार्ययोजना पर मानसून विपरीत असर क्यों डाल पाया है। क्योंकि उसने कुल स्वीकृत 15506 अमृत सरोवरों में 8466 का काम पूरा कर चुका है। वहीं प्रगतिरत 10752 कार्यों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। बता दें कि अमृत सरोवरों के निर्माण में जम्मू-कश्मीर तीसरे, राजस्थान चौथे और तमिलनाडु पांचवे पायदान पर है।
राज्य- मंजूर- चालू -कार्यपूर्ण -प्रतिशत
उत्तर प्रदेश 15506 10752 8466 54.59
मप्र 6000 5374 1692 28.2
जम्मू और कश्मीर 3721 1903 1490 40.4
राजस्थान 5100 3286 913 17.90
तमिलनाड़ 3783 1599 831 21.96
मप्र के अव्वल जिले
बैतूल 112 108 100
छिंदवाड़ा 169 166 105
सिवनी 111 102 67
बुरहानपुर 112 105 76
मुरैना 115 113 103
मप्र के फिसड्डी जिले
रीवा 135 122 11
भिंड 142 124 31
सतना 120 105 14
शाजापुर 105 67 7
भोपाल 91 80 7
कई उद्देश्यों की पूर्ति में सक्षम है अमृत सरोवर
राज्य में कुल 52 जिले हैं और प्रत्येक जिले में औसतन 100 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। क्योंकि यह कई उद्देश्यों की पूर्ति में सक्षम है। क्योंकि जल संरक्षण के लिए प्रदेशव्यापी अभियान के तहत निर्मित यह सरोवर सिंचाई, मत्स्य-पालन, सिंघाड़ा उत्पादन के साथ धार्मिक व पर्यटन के प्रयोजनों को भी पूरा करते हैं। इसका निर्माण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत किया जा रहा है।
सरोवर प्राधिकरण पर होगा निगरानी का जिम्मा
अमृत सरोवर की निगरानी का जिम्मा सरोवर प्राधिकरण पर होगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मातहत काम करेगा। भविष्य में इसकी निगरानी में ही प्रदेश में नए तालाब बनने से लेकर इनकी मरम्मत के सारे काम होंगे। लिहाजा, विभाग में सरोवर प्राधिकरण के नए सेटअप की तैयारी शुरू हो गई है। मंत्री परिषद की मंजूरी के बाद इस पर अमल शुरू हो जाएगा। प्रत्येक जिले में लगभग चार करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया।
बैतूल अव्वल तो भोपाल फिसड्डी
अमृत सरोवर योजना क्रियांवयन के मामले में राज्य का बैतूल जिला अव्वल है। जबकि राजधानी भोपाल फिसड्डी साबित हुआ है। हालांकि राजधानी के अलावा रीवा, सतना, शाजापुर और भिंड जिलों की स्थिति चिंताजनक है। क्योंकि इनमें से अधिकांश जिले बीते छह माह के दौरान 10 अमृत सरोवर भी अपने क्षेत्र में नहीं बना पाएं हैं।
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