मुरैना
प्रदेश की शिवराज सरकार ने चुनावों के दौरान किए अपनें वादों को पूरा करते हुए मुरैना में बीते साल डिग्री कॉलेज शुरु किए। इन कॉलेज का उद्देश्य कस्बे और गांव के युवाओं को उच्च शिक्षा देना था, ताकि युवाओं को शहरों का रुख न करना पड़े। मुरैना में तीन डिग्री कॉलेज बन तो गए हैं लेकिन पढ़ाई की सच्चाई देख कर आप दंग रह जाएंगे।
सरकार द्वारा बनवाएं गए तीनों कॉलेजों का पहला सत्र बीतने को है, लेकिन कॉलेजों के पास भवन तो छोड़िए पढ़ाने वाले प्रोफेसर ही नहीं हैं। प्रोफेसर न होने के कारण इन कॉलेजों में बच्चे भी दाखिला नहीं ले रहे हैं। ऐसी ही हालत सालों पहले स्वीकृत हुए कैलारस व बानमोर के डिग्री कालेजों की हैं, जो प्राइमरी या मिडिल स्कूलों के भवनों में चलाए जा रहे हैं। कॉलेजों के लिए सरकार ने तो पैसे दे दिए लेकिन व्यवस्थाओं की कमी के चलते प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के भवनों में ये कॉलेज चलाए जा रहे हैं।
सीएम शिवराज ने किया था कॉलेज का ऐलान
गौरतलब है, कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुरैना में हुई एक सभा में तीन कॉलेजों की स्थापना का ऐलान किया था। सीएम शिराज ने रिठौरा कलां, रजौधा गांव और दिमनी में कॉलेज खोलने का ऐलान किया था। साल 2022 में सीएम शिवराज की इस घोषणा को जमीन पर उतारा गया । दिमनी, रिठौरा और रजौधा में डिग्री कालेज स्वीकृत कर दिए गए।
सिर्फ कागजों में भवन
मध्य प्रदेश सरकार ने 2018 में किए अपने वादे को साल 2022 में पूरा कर दिया। कागजों में रिठौरा कलां, रजौधा गांव और दिमनी में कॉलेज बन गए लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल इतर है। इन सरकारी कालेजों का संचालन प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंगों में चल रहा है। कॉलेजों की खुद की इमारत नहीं है। न प्रोफेसर हैं और न ही कक्षाएं हैं, जिसके चलते छात्र-छात्राएं भी दाखिला नहीं ले रहे हैं। पूरा एक सत्र बीतने को है और तीनों कॉलेजों में कहीं 10 तो कहीं 20 छात्र-छात्राओं के औपचारिक प्रवेश हुए हैं।
नवीन डिग्री कालेजों के खुद के भवन कब तक तैयार होंगे इसका जबाव किसी के पास नहीं है। मुरैना से लेकर भोपाल तक इन सावलों के जवाब देने वाला कोई नहीं है। दरअसल, इन तीनों कालेजों के लिए संबंधित तहसीलों के तहसीलदारों ने जमीनें तो चिह्नित कर लीं, लेकिन इनका आवंटन में कोई न कोई विवाद खड़ा हो रहा है।
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