भोपाल में गणपति विसर्जन के दौरान मेट्रो ने रुकावट डाली, ट्रैफिक पुलिस ने एमडी को लिखा पत्र

भोपाल
राजधानी में इस बार गणपति विसर्जन के उत्सव में मेट्रो परियोजना की बैरिकेडिंग ने समस्या खड़ी कर दी है। हर साल की तरह इस बार भी शहर भर के गणेश भक्त अपने-अपने गली-मोहल्लों में सजी झांकियों से गणपति की मूर्तियों को प्रेमपुरा घाट तक विसर्जन के लिए लेकर जाएंगे। लेकिन इस बार मेट्रो परियोजना के कारण डिपो चौराहे से भदभदा चौराहे तक लगभग 1.8 किलोमीटर लंबी सड़क पर बैरिकेडिंग लगने से रास्ता अत्यधिक संकरा हो गया है, जिससे विसर्जन के दौरान परेशानी खड़ी हो सकती है।
1.8 किमी लंबा है रास्ता
मेट्रो की बैरिकेडिंग के कारण करीब 80 फीट चौड़ा रास्ता महज 30 फीट रह गया है। समस्या को भांपकर ट्रैफिक पुलिस ने मेट्रो परियोजना के एमडी को पत्र लिख बैरिकेडेिंग के क्षेेत्र को कम करने का आवेदन दिया है ताकि रास्ता चौड़ा हो सके। हालांकि अब तक मेट्रो एमडी की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है। प्रेमपुरा घाट जाने के लिए डिपो चौराहे से भदभदा चौराहे तक करीब 1.8 किमी के रास्ते पर मेट्रो बैरिकेडिंग हुई है। सड़क की चौड़ाई करीब 80 फीट है, लेकिन मेट्रो की वजह से दोनों ओर का रास्ता कुछ स्थानों पर सिमटकर 15 फीट तक रह गया है, जिससे न केवल सामान्य यातायात में रुकावट आ रही है, बल्कि गणेश मूर्तियों के विसर्जन के समय होने वाले जुलूस में शामिल झांकियों और डीजे के वाहनों को निकलने में भी दिक्कत होगी।
प्रेमपुरा घाट पर होगा 650 से अधिक मूर्तियों का विसर्जन
गणेश विसर्जन के दौरान भारी संख्या में लोग एक साथ सड़क पर होते हैं और इस संकीर्ण मार्ग पर भीड़ और वाहनों के दबाव को संभालना पुलिस के लिए चुनौती बन सकता है। बता दें भोपाल में इस बार एक हजार से ज्यादा गणेश पंडाल सजे हैं, जिनमें सबसे विशाल करीब 150 मूर्तियों का चल समारोह निकाला जाएगा, जिनका विसर्जन छोटे तालाब के रानीकमलापति घाट पर होगा। वहीं हथाईखेड़ा डैम और बैरागढ़ के विसर्जन कुंड में आसपास के क्षेत्रों की 200 से अधिक मूर्तियां विसर्जित की जाती हैं। इसके अलावा शहर का सबसे बड़ा विसर्जन स्थल प्रेमपुरा घाट है, जहां 650 से गणेश मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा। प्रेमपुरा घाट पर विसर्जन के लिए पुराने शहर से जुलूस निकलेगा जो कि रेतघाट, पालीटेक्निक चौराहे से डिपो चौराहे तक पहुंचेगा। वहां से भदभदा चौराहे तक के करीब 1.8 किमी के रास्ते में बैरिकेडिंग है , जो समस्या बनी है।
दो महीने की अनुमति लेकर छह महीने पहले लगी थी मेट्रो की बैरिकेडिंग
एसीपी ट्रैफिक अजय वाजपेयी ने बताया कि मेट्रो रेल कार्पोरेशन की ओर से करीब छह महीने पहले मेट्रो निर्माण से पहले मिट्टी की जांच के लिए दो महीने की अनुमति ली गई थी। इसके बाद अवधि समाप्त होने के बाद दो बार और अनुमति दी गई है।
एस. कृष्णा चैतन्य, एमडी मप्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने बताया विसर्जन का मार्ग मेट्रो बैरिकेडिंग के कारण काफी संकरा हो गया है। जुलूस में बड़ी मूर्तियां भी शामिल होती हैं, ऐसे में जिन स्थानों पर रास्ता बेहद संकीर्ण हो गया है वहां मूर्तियां फंसने की आशंका है। इसको लेकर मेट्रो एमडी को पत्र लिखकर मांग की है कि रास्ते से या तो बेरिकेड्स हटाए जाएं या फिर उन्हें समेटें, जिससे मार्ग पर रास्ता मिल सके। अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अंतरविभागीय मामला है, अधिकारियों के साथ बैठक कर समाधान निकालेंगे।
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