ओटावा
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान के समर्थक हैं। सोमवार को उन्होंने अपने एक बयान के साथ अपने 'खालिस्तान प्रेम' को दुनिया के सामने लाकर रख दिया। ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया है। उन्होंने भारत के सिर यह दोष ऐसे समय में मढ़ा जब इस मामले की जांच जारी थी। ट्रूडो जो खुद को खालिस्तानियों का 'लवर ब्वॉय' साबित करने पर तुले हैं, शायद उस आतंकी हमले को भूल गए जिसमें 200 से ज्यादा कनाडाई नागरिकों की मौत हो गई थी। यह हमला खालिस्तानियों ने ही अंजाम दिया था।
आज भी सिहर जाता है कनाडा
सन् 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 को याद करते ही आज भी कनाडा सिहर जाता है। यह कनाडा के इतिहास का सबसे भयावह आतंकी हमला था। यह फ्लाइट मॉन्ट्रियल-लंदन-दिल्ली-मुंबई तक की थी। 25 जून 1985 को फ्लाइट मॉन्ट्रियल से लंदन के रास्ते पर थी और अटलांटिक महासागर से 31,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रही थी कि अचानक इसमें ब्लास्ट हो गया।
फ्लाइट में 329 लोग सवार थे जिसमें से 280 कनाडा के नागरिक थे। हादसे में कोई भी जिंदा नहीं बचा था। कनाडा के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जॉन मेजर की एक रिपोर्ट में कनाडा के अधिकारियों को इसका दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि इस त्रासदी को टाला जा सकता था। फ्लाइट में बब्बर खालसा के आतंकियों ने विस्फोटक को फिट किया था।
एक बम जापान में फटा
इस ब्लास्ट के आरोप में कुछ ही लोगों को गिरफ्तार किया गया था और उन पर मुकदमा चलाया गया था। लेकिन दोषी इंदरजीत सिंह रेयात साबित हुआ जो एक ब्रिटिश-कनाडाई नागरिक था। हमलों का मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार था। साल 2003 में उसे इस नरसंहार के लिए दोषी ठहराया गया था। बमों को फ्लाइट में असेंबल करने के जुर्म में उसे पंद्रह साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
निज्जर की तरह ही रेयात भी ब्रिटिश कोलंबिया में रहता था। वह पेशे से एक कार मैकेनिक और इलेक्ट्रीशियन था। रेयात ने बैग में बम भरकर वैंकूवर से रवाना होने वाले दो प्लेन में रख दिए थे। साथ ही उसने सह-अभियुक्तों को बचाने के लिए अदालत में झूठ भी बोला था। दूसरा बम जापान के नारिता एयरपोर्ट पर फटा था। इसमें दो एयरपोर्ट कर्मियों की मौत हो गई थी। यह बम तक फटा था जब एयर इंडिया के दूसरे विमान में कार्गो को शिफ्ट किया जा रहा था।
खालिस्तानियों को खुश करते ट्रूडो
इस पूरे हमले की साजिश सन् 1984 में न्यूयॉर्क में वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन की तरफ से हुए एक सम्मेलन के दौरान ही तैयार कर ली गई थी। उस समय कहा गया था कि जब तक 50,000 हिंदुओं को मारा नहीं जाएगा तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। खालिस्तानियों ने भारतीय विमानों को आसमान से गिराने की कसम खाई थी। दो दशक तक चली जांच पर करीब 150 मिलियन डॉलर खर्च हुए थे। यह कनाडा के इतिहास की अब तक की सबसे महंगी जांच साबित हुई थी। इंद्रजीत सिंह रेयात को साल 2017 में कनाडा की अदालत ने रिहा कर दिया था। ट्रूडो कभी खालिस्तानी जसवंत सिंह अटवाल के साथ डिनर करते तो कभी दूसरे खालिस्तानियों को खुश करने में लगे रहते। जगमीत सिंह जिनकी बदौलत आज ट्रूडो पीएम बने हैं, उन्होंने तो हमले में शामिल लोगों की निंदा करने से ही इनकार कर दिया था।
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