राजधानी दिल्ली के सभी ऑटो में जीपीएस लगाना होगा अनिवार्य, दिल्ली सरकार का आदेश

नईदिल्ली
दिल्ली के हर ऑटोरिक्शा में अब ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाए जाएंगे। परिवहन विभाग ने शहर के सभी ऑटो-रिक्शा चालकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उनके वाहनों में स्थान ट्रैक करने वाला जीपीएस फंक्शनल कंडीशन (चालू हालत वाला) में लगा हो। ऐसा न करने पर ड्राइवरों को दंडित किया जाएगा। इसकी जानकारी अधिकारियों ने शुक्रवार को दी।
मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि ऑटो-रिक्शा चालकों को सरकार द्वारा निर्धारित मीटर बॉक्स के अनुसार किराया नहीं वसूलने की कई शिकायतों के बीच यह कदम उठाया गया है। मीटर तय की गई यात्रा के आधार पर सवारी को किराया दिखाता है। जीपीएस प्रत्येक ऑटो-रिक्शा में मीटर बॉक्स के अंदर एक सिम कार्ड के साथ काम करता है।
अधिकारियों के मुताबिक, शहर के 90,000 से अधिक ऑटो चालकों को यह जांचने के लिए कहा गया है कि क्या उनका सिस्टम काम नहीं कर रहा है और अगर नहीं तो इसे बदलवा लें। वाहनों में जीपीएस की जांच और बदलने का काम दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) लिमिटेड को सौंपा गया है, जो दिल्ली की क्लस्टर बस सेवा भी संचालित करती है।
डीआईएमटीएस फिटनेस प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया के दौरान नियमित रूप से सिस्टम की जांच करता है। पांच साल से ज्यादा पुराने ऑटो-रिक्शा को हर दो साल में फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त लेने की जरूरत होती है, जबकि पुराने लोगों को इसे नियमित रूप से हासिल करने की आवश्यकता होती है। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि विभाग द्वारा पिछले तीन सालों में कोविड-19 महामारी के कारण ऐसा नहीं किया गया है।
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'कोविड-19 के बाद, ऑटो रिक्शा यूनिट (एआरयू) ने फिटनेस जांच के दौरान ऑटो-रिक्शा में जीपीएस की कार्यक्षमता की जांच करवाना बंद कर दिया। इसके चलते कई ऑटो में जीपीएस अब काम नहीं कर रहा है। ड्राइवरों को इसका परीक्षण कराने के लिए भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।'
वर्तमान में, केवल लगभग 10,000 ऑटो-रिक्शा के पास एक्टिव इंटरनेट कार्ड हैं जिनके जरिए वे जीपीएस का उपयोग करते हैं। अधिकारियों ने कहा कि यह प्रणाली वाहन की आवाजाही पर नजर रखकर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करती है और यह भी जांचती है कि मीटर का उपयोग किया जा रहा है या नहीं।
परिवहन विभाग के एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'परिवहन विभाग ने ऑटो चालकों द्वारा मीटर के अनुसार नहीं चलने की शिकायतें मिलने के बाद ऑटो-रिक्शा में जीपीएस को फंक्शनल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे हमारे डैशबोर्ड पर ऑटो के ट्रिप मीटर की स्थिति को ट्रैक करने में मदद मिलेगी।' हालांकि, कई ऑटो-रिक्शा चालकों ने कहा कि जीपीएस सालों से वाहन का खराब (डिफंक्ट) हिस्सा है, और वाहन चोरी के किसी भी मामले में इससे कोई मदद नहीं मिली है।
एनसीआर ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के दिल्ली अध्यक्ष एनएस मंसूरी ने कहा, 'हमने विभाग को एक पत्र सौंपा है कि इस अनावश्यक उत्पीड़न को रोका जाना चाहिए। जीपीएस ने कभी भी हमारी मदद नहीं की और जो ऑटो चोरी हो गए, उन्हें कभी भी बरामद नहीं किया गया, भले ही उनमें जीपीएस काम कर रहा हो। इसके अलावा कई ऑटो चालकों को फिटनेस जांच के दौरान अधिकारियों ने बताया कि अब जीपीएस जांच की जरूरत नहीं है। ड्राइवरों को इसे लगवाने में पूरा दिन बर्बाद करना होगा।'
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