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इसरो का पहला सोलर मिशन आदित्य एल1 लॉन्च

शहर के रीजनल साइंस सेंटर में बच्चों ने देखी लाइव स्ट्रीमिंग

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भोपाल। चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग के दसवें दिन इसरो ने शनिवार को आदित्य एल1 मिशन लॉन्च कर दिया। आदित्य सूर्य की स्टडी करेगा। शनिवार सुबह 11.50 बजे पीएसएलवी-सी57 के ङ्गरु वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आदित्य एल1 को लॉन्च किया गया। इसको लेकर भोपाल के रीजनल साइंस सेंटर लाइव स्क्रीनिंग की गई। यहां सैंकड़ों स्कूली छात्र मौजूद रहे। इसके अलावा यहां टेलिस्कोप के माध्यम से बच्चों को सूरज भी दिखाया गया।
यहां बच्चों को बताया कि किस तरह से यह मिशन शुरू किया गया है। इसके अलावा यह क्यों जरूरी है। छात्रों को यह भी बताया गया कि हम इस मिशन के तहत 15 लाख किमी तक जाएंगे। इसको लेकर इसरो ने लंबे समय से तैयारियां की गईं हैं। इसके अलावा छात्रों ने कई तरह के सवाल भी रीनजल साइंस सेंटर के डायरक्टर साकेत सिंह कौरव से पूछे। करीब ढाई घंटे तक चलते वाले इस सेशन में 200 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।

सूर्य की स्टडी क्यों जरूरी

जिस सोलर सिस्टम में हमारी पृथ्वी है, उसका केंद्र सूर्य ही है। सभी आठ ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते हैं। सूर्य की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य से लगातार ऊर्जा बहती है। इन्हें हम चाज्र्ड पार्टिकल्स कहते हैं। सूर्य का अध्ययन करके ये समझा जा सकता है कि सूर्य में होने वाले बदलाव अंतरिक्ष को और पृथ्वी पर जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। आदित्य स्पेसक्राफ्ट को एल1पॉइंट तक पहुंचने में करीब 125 दिन यानी 4 महीने लगेंगे। ये 125 दिन 3 जनवरी 2024 को पूरे होंगे। अगर मिशन सफल रहा और आदित्य स्पेसक्राफ्ट लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंच गया, तो नए साल में इसरो के नाम ये बड़ी उपलब्धि होगी।

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