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पुतिन की जंग से बिगड़ रहा भारत का ‘बजट’, यूं बढ़ रहा एक लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ

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नई दिल्ली

यूक्रेन पर रूसी अटैक का असर पूरी दुनिया में दिख रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। जहां पेट्रोल-डीजल के दाम पहले ही आसमान छू रहे हैं वहीं अब खाद को लेकर भी सरकार पर बोझ बढ़ने की खबर है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने सोमवार को कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने देश के कृषि क्षेत्र को सबसे बुरी तरह प्रभावित किया है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरक की कीमतें आसमान छू रही हैं, इससे अकेले भारत की उर्वरक सब्सिडी का बोझ इस वित्त वर्ष में 2 लाख करोड़ रुपये से ऊपर जाने की संभावना है।

बता दें कि 2022-23 के केंद्रीय बजट में भारत की उर्वरक सब्सिडी का अनुमान लगभग 1 लाख करोड़ रुपये लगाया गया था लेकिन यह उससे एक लाख करोड़ रुपये अधिक है। यानी अनुमान से लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ भारत पर पड़ने वाला है।  रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च को समाप्त पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान में उर्वरक सब्सिडी 1.4 लाख करोड़ रुपये थी। रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण सप्लाई चेन में व्यवधान से पिछले वर्ष के खर्च की तुलना में चालू वर्ष में 60,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ने की संभावना है।

यूक्रेन युद्ध और ईरान पर प्रतिबंधों ने डीएपी और यूरिया के लिए आवश्यक विभिन्न इनपुट के लिए संकट पैदा कर दिया है। युद्ध और प्रतिबंधों से चलते सप्लाई चेन की अड़चनें पैदा हुईं, जिससे वे एक दुर्लभ वस्तु बन गए और अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ गईं। भारत अपने कृषि क्षेत्र के लिए बड़ी मात्रा में इन उर्वरकों का आयात करता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन पर युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय गैस की कीमतों में 40% तक की वृद्धि की है। यूरिया के निर्माण में गैस का इस्तेमाल एक प्रमुख घटक है – यानी लागत का लगभग 70% गैस पर खर्च होता है। अधिकारी ने कहा, "उर्वरक बनाने की मुख्य सामग्री में से एक गैस है। ईरान पर प्रतिबंधों ने पहले ही हमारी आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया था और इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध ने स्थिति को और बढ़ा दिया है।" हालांकि, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने पूरे साल की जरूरतों को पूरा करने के लिए 30 लाख टन डीएपी और 70 लाख टन यूरिया खरीदा है।

शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भारत ने देश भर में कई उत्पादन इकाइयां स्थापित की हैं और कुछ वर्षों में भारत अपनी सभी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए उर्वरक में आत्मनिर्भर हो जाएगा। उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा व्यक्त की गई उस चिंता को कम दिया जिसमें कहा गया है कि देश में उर्वरक की कमी है। उन्होंने कहा, "मौसम की शुरुआत में उर्वरक की दुकानों पर कतार लगना सामान्य बात है क्योंकि सभी एक ही समय पर डीलरशिप पर पहुंच जाते हैं। चिंता की कोई बात नहीं है।" उन्होंने आश्वासन दिया और कहा कि देश में पर्याप्त स्टॉक और आपूर्ति है। 

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