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सरदार सरोवर डूब क्षेत्र में अफ्रीकी चीते बसायेगी सरकार

कूनो से भेजे जाएंगे चीते, तैयारियों में जुटा वन वन्यप्राणी अमला

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भोपाल। सरकार प्रदेश के सरदार सरोवर डूब क्षेत्र में अफ्रीकी चीतों को बसाने जा रही है। यह प्रदेश के कूनों अभ्यारण्य से भेजे जाएंगे। अफ्रीका से लाये गए चीतों की नस्ल को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से वन्य प्राणी कार्यालय यह पहल की गई है। इसके लिये गुजरात की सीमा से सटे अलीराजपुर के मथवाड़ क्षेत्र का चयन किया गया है। यह नौरादेही और कूनों के बाद करीब 200 वर्गमील क्षेत्रफल में फैला तीसरा अभ्यारण्य होगा।  
      इसके पहले इस क्षेत्र को अभ्यारण्य और अफ्रीकी चीतों के अनुरूप विकसित करने की योजना को अमली जामा पहनाने की कवायद वन विभाग ने शुरू कर दी है। हालांकि रिपोर्ट स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट जबलपुर की पहल पर वन्यप्राणी रहवास विकास संगठन की सिफारिश पर यह काम वर्ष 2016 से शुरू हो गया था, लेकिन कूनों में अफ्रीकी चीतों की बसाहट के बाद आगामी एक वर्ष में इसको पूरा करने की योजना है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी मप्र जसबीर सिंह चौहान ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि प्रदेश के सरदार सरोवर क्षेत्र में चीतों की बसाहट का प्रस्ताव है। इस पर काम भी शुरू हो गया है। प्राकृतिक जलवायु अनुकूलता के दृष्टिगत चीतों को संरक्षित पर्यावास और वन्यजीव की विविधता को सुरक्षित रखना इसका उद्देश्य है।

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इसलिये मथवाड़ का चयन
विभागीय अधिकारियों की माने तो यह क्षेत्र प्रकृतिक रूप से समृद्ध है। यहां जंगली जानवरों की भरपूर पर्याप्तता है। जिसमें भालू, हिरन, जंगली भैसे, खरगोश और तेदुआ प्रमुख रूप से शामिल है। चूंकि इसका अधिकांश हिस्सा मैदानी है और चीतों के लिये जरूरी माने जाने वाले हिरणों की बहुलता भी है। इसलिये चीतों को प्राकृतिक रूप से जानवरों की उपलब्धता रहेगी। इसलिये पहले चरण में 8 चीतों को भेजने की योजना है। भविष्य में समय की जरूरत अनुसार बदलाव भी किया जा सकता है। खास बात यह है किसके पहले चीतों की बसाहट के लिये सागर और नरसिंहपुर जिले में बने नौरादेही अभयारण्य का चयन किया गया था। बावजूद इसके मुरैना स्थित कूनों के चलते इसको लंबित कर दिया गया। आयाताकार क्षेत्र में चिंहित इस क्षेत्र में चीतों को सुरक्षित रखने बाड़बंदी के लिये विभाग को करीब डेढ़ सौ करोड़ रूपये की आवश्यकता बनी हुई है।

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आगामी 5 साल तक चीते आते रहेंगे भारत सरकार के साथ समझौते के तहत आगामी 4-5 साल तक अफ्रीका से चीतों की आवक देश में बनी रहेगी। पहली खेप में 8 चीतों के आने के बाद फिर 12 चीते लाये जा रहे हैं। वन्यप्राणी विभाग की माने तो यह क्रम फिलहाल जारी रहेगा। क्योंकि पर्यावरणीय अनुकूलता के लिये जानवरों को समय चाहिये। इसलिये मप्र के अलावा भी देश के अलग-अलग राज्यों में इनको बसाने की योजना प्रस्तावित है।

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