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नॉटी बच्‍चे सभी को पसंद आते हैं लेकिन ये पैरेंट्स के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं

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बच्‍चा अगर नॉटी हो, तो मां-बाप को हर पल अपने धैर्य का परिचय देना पड़ता है। डिमांड पूरी न होने पर अगर बच्‍चा पूरे घर में घूमता है और चिल्‍लाता है या रोता है या शोर मचाता है, तो पैरेंट्स को गुस्‍सा आना और उसे डांटना लाजिमी है। कई बार आपको हैरानी भी होती होगी कि बच्‍चे के ऐसे बिहेवियर के पीछे क्‍या वजह हो सकती है। लेकिन आपको ज्‍यादा परेशान होने और अपना धैर्य खोने की जरूरत नहीं है। आप कुछ आसान तरीकों से अपने नॉटी बच्‍चे को संभाल सकते हैं और उस पर गुस्‍सा होने से खुद को रोक सकते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जो पैरेंट्स की नॉटी बच्‍चों को हैंडल करने में मदद करेंगे।

कुछ लि‍मिट बनाएं
आपका बच्‍चा जो भी कहता है, उसे स्‍वीकार ना करें। कुछ लिमिट बनाएं और उसे क्‍या चाहिए और क्‍या नहीं, इसकी पूरी जिम्‍मेदारी बच्‍चे पर ना छोड़ दें। प्‍यार से बात करें लेकिन अगर बच्‍चा ट्रैंट्रम दिखाता है तो उसे समझा दें कि इस तरह के व्‍यवहार से उसकी डिमांड पूरी नहीं होगी। अगर आप एक या दो बार बच्‍चे के गलत व्‍यवहार करने पर उसकी डिमांड पूरी कर देते हैं, तो हो सकता है कि उसे इसकी आदत लग जाए।

​खुद नहीं बदलें
बच्‍चे के साथ हर रोज अलग पेश ना आएं। मान लीजिए अगर एक दिन आपने बच्‍चे को देर तक टीवी देखने से मना कर दिया और दूसरे दिन उसे परमिशन दे दी, तो इससे बच्‍चे को कुछ समझ नहीं आएगा। इसलिए नियमों को लेकर टिके रहें।

​थोड़ी आजादी दें
बच्‍चे को हर वक्‍त ये ना बताते रहें कि उसे क्‍या करना चाहिए। अपने खुद के कपड़े चुनने या उसे दूध किस तरह पीना है, ये छोटे-छोटे फैसले उसे खुद लेने दें।

​परिणाम बता दें
बच्‍चे को बताएं कि उसके नॉटी बिहेवियर का क्‍या परिणाम हो सकता है और इसका सबसे ज्‍यादा नुकसान उसे ही होगा। उसे पता होना चाहिए कि अगर वो बिना बात के टैंट्रम दिखाएगा या चिल्‍लाएगा, तो वो मुश्किल में आ सकता है। उसे बताएं कि इस तरह का बिहेवियर अस्‍वीकार्य है।

​टैंट्रम को बर्दाश्‍त ना करें
अगर आपका बच्‍चा देर तक लगातार रोता रहता है, तो आपका मन पिघल कर उसकी डिमांड पूरी करने का करता है। लेकिन बच्‍चे के हर बार रोने या गुस्‍सा करने पर उसकी डिमांड पूरी नहीं करनी चाहिए। इससे बच्‍चा बिगड़ जाएगा। उसे लगेगा कि रोने और चिल्‍लाने से सब मिल जाता है।

​चिल्‍लाएं नहीं
बच्‍चे के चिल्‍लाने या टैंट्रम दिखाने पर, आप खुद उस पर चिल्‍लाएं नहीं या गुस्‍सा ना करें। ऐसा करने से बच्‍चा कुछ समय के लिए तो रूक जाएगा लेकिन आगे चलकर वो भी सिचुएशन को आपकी ही तरह चिल्‍लाकर हैंडल करना शुरू कर देगा।

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