भोपाल
लोकायुक्त के शिकंजे में फंसे परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) की एंट्री हो गई है। ईडी ने सौरभ शर्मा और चेतन सिंह गौर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। इस मामले में सौरभ के परिवार से भी पूछताछ की जाएगी।
इधर जांच का दायरा जैसे-जैसे बढ़ रहा है, वैसे ही नए-नए खुलासे भी हो रहे हैं। अब सौरभ के बारे में पता चला है कि वह नौकरी छोड़ने के बाद भी परिवहन विभाग में सक्रिय था। अपने लोगों को परिवहन के चेक पोस्टों पर भेजा करता था। हालांकि तब सितंबर 2023 में कुछ अधिकारियों ने इसका विरोध करते हुए जानकारी ऊपर तक भी पहुंचाई थी, लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं
अब लोकायुक्त और आयकर विभाग के रडार पर आने के बाद सौरभ शर्मा के बारे में ये सारी बातें सामने आ रही हैं। हालांकि जिन अधिकारियों के सामने तब ये मामले आए थे, अब वे भी कुछ कहने से बच रहे हैं।
पुलिस सूत्रों की मानें तो सौरभ शर्मा के पास करीब 12 लोगों की ऐसी टीम थी, जिनको परिवहन के चेक पोस्टों पर वसूली का अनुभव था। बीच-बीच में उसके लोगों के वीडियो भी सोशल मीडिया के अलग-अलग माध्यमों पर वायरल हुए थे, तब मामला ऊपर तक भी पहुंचा था, लेकिन लिखित शिकायत से पहले ही पूरा मामला दबा दिया गया था।
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सौरभ काफी सतर्क रहकर काम करता था। उसे नाकों की भी पूरी खबर रहती थी। अगर उसके लोगों की कुछ शिकायत आती थीं तो वह अपने रसूख का उपयोग कर उसे दबा देता था।
आयकर विभाग का बिल्डर के बाद सौरभ पर फोकस
आयकर विभाग की टीम ने बिल्डर के यहां छापेमारी में अहम राजफाश करने के बाद अब सौरभ शर्मा पर फोकस बढ़ा दिया है। दिल्ली से दिशा-निर्देश मिलने के बाद आयकर विभाग ने सोने और 10 करोड़ रुपये की नकदी की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। सौरभ के दुबई से भारत आने के बाद उसे पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
ऊपर से रकम को होल्ड करने के मिले निर्देश
आयकर सूत्रों का कहना है कि रातीबड़ में एक फार्म की जमीन पर खड़ी कार से जब्त सोना और रुपये को लोकायुक्त को वापस करने की चर्चाओं पर अब विराम लग गया है। आला अधिकारियों की बैठक के बाद रकम को होल्ड करने का निर्णय लिया गया है। जब तक सोने की पूरी जानकारी नहीं मिल जाती है, तब तक रकम और सोना आयकर विभाग के पास ही रहेगा।
पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा… पढ़िए अब तक की पूरी कहानी
पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा के यहां कुछ रोज पहले ही लोकायुक्त ने भोपाल निवास व कार्यालय पर छापा मारा था। सौरभ मूल रूप से ग्वालियर का रहने वाला है।
जो गाड़ी आयकर की टीम ने पकड़ी, उसमें 54 किलो सोना व नौ करोड़ से ज्यादा नकद मिला था। यह गाड़ी सौरभ के नजदीकी चेतन सिंह गौर की थी। सौरभ की ग्वालियर के थाटीपुर में ससुराल है।
सोशल मीडिया पर पहले सौरभ व उसकी पत्नी दिव्या और इसके बाद एक एक करके सभी रिश्तेदार व नजदीकियों ने अपने फेसबुक व इंस्टाग्राम अकाउंट डिलीट कर लिए हैं।
परिवहन महकमे में सबसे ज्यादा चर्चा
सौरभ को लेकर परिवहन मुख्यालय से लेकर जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय तक में इन दिनों भारी चर्चा है। सौरभ शर्मा के कई जानने वाले कार्यालयों में पदस्थ हैं और दबी जुबान से अलग-अलग बातें कर रहे हैं।
विभाग के कुछ लोगों का कहना है कि सौरभ ने ग्वालियर में शुरुआत जरूर की, लेकिन इसके बाद भोपाल की ओर रुख करने में देर नहीं की। सौरभ के अलग-अलग कारोबारों में पार्टनर भी हैं। जिस तरह रोहित तिवारी व शरद जायसवाल पार्टनर हैं, उसमें एक मेहता भी सौरभ का काफी नजदीकी है।
शरद जायसवाल होटल फाटिगो भोपाल का भी काम देखता है। वहीं मेहता भी होटल से लेकर रियल स्टेट कारोबार में सौरभ का साथ देता है।
सौरभ की नियुक्ति में पूर्व विधायक का बड़ा हाथ
इस बीच, परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की नियुक्ति नियम विरुद्ध बताई जा रही है। इसमें ग्वालियर अंचल के कांग्रेस से जुड़े एक कद्दावर नेता और पूर्व विधायक का बड़ा हाथ है। तत्कालीन कलेक्टर पर भोपाल तक से दबाव डलवाकर दो बार अनुकंपा नियुक्ति को लेकर प्रस्ताव भिजवाया गया।
परिवहन आयुक्त के स्टेनो ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। आखिर सौरभ को यह लोग परिवहन विभाग में लाने में कामयाब हो गए। पूर्व मुख्यमंत्री तक से पूर्व विधायक ने प्रदेश के मंत्रियों को सौरभ के लिए सिफारिश कराई थी।
यह पूर्व विधायक सौरभ के परिवार से सालों से जुड़े हैं। सौरभ की नियुक्ति होने के बाद उसे परिवहन विभाग के दांव-पेंच सीखते में अधिक समय नहीं लगा। दो साल तक भाजपा सरकार में उसने पूरे दांव-पेंच सीखकर परिवहन चेक पोस्टों का ठेका उठाया।
दो बार पीएससी मुख्य तक पहुंचा, अनुकंपा नियुक्ति से लगा
पैसा कमाने का चस्का प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले मनोज शर्मा बताते हैं कि सौरभ पढ़ने में बहुत होशियार था। कोचिंग के टेस्ट में अव्वल आता था। उसमें प्रतिभा थी। दो बार उसने एमपीपीएससी दी और प्रारंभिक परीक्षा में सफलता हासिल की मुख्य परीक्षा तक पहुंचा।
एक बार साक्षात्कार में रह गया। इसी दौरान पिता के निधन के बाद उसकी अनुकंपा नियुक्ति परिवहन विभाग में हो गई। यहां से उसे पैसा कमाने का चस्का लगा।
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