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कोल इंडिया की चेतावनी, नहीं बढ़े दाम तो घट सकता है कोयले का प्रॉडक्शन

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 नई दिल्ली

सरकारी माइनिंग कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने चेताया है कि अगर वह दाम नहीं बढ़ा पाती है तो कोयले का प्रॉडक्शन घट सकता है। दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी, सैलरी में बढ़ोतरी और डीजल की ऊंची कीमतों के कारण कॉस्ट प्रेशर का सामना कर रही है। डीजल का इस्तेमाल खनन से जुड़े उपकरणों को चलाने में होता है। कंपनी की कुछ यूनिट्स के लिए कीमत बढ़ोतरी के बिना सर्वाइव करना मुश्किल हो गया है। यह बात कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने एनालिस्ट्स के साथ एक कॉल में कही है।

पावर जेनरेशन में कोयले की हिस्सेदारी अभी करीब 70%
कोल इंडिया पर फिलहाल कोयले की सप्लाई मेंटेन रखने का दबाव है। इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन में अभी कोयले की हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी है। पिछले साल के आखिर में पावर प्लांट्स में कोल इनवेंटरीज घट गई है, क्योंकि माइन आउटपुट गिर गया था। इस वजह से बिजली की थोड़ी किल्लत हुई।
 

670 मिलियन टन कोयला सप्लाई कर सकती है कंपनी
पावर प्लांट्स में कोल रिजर्व सितंबर के लो-लेवल से बढ़ा है, लेकिन यह अप्रैल 2020 के हाई से अभी केवल एक तिहाई है। साथ ही, गर्मियां नजदीक आने के साथ ही पावर डिमांड बढ़ेगी। अग्रवाल ने एनालिस्ट कॉल में कहा, 'कीमत बढ़ोतरी तत्काल होनी चाहिए। कोल इंडिया के लिए यह बहुत जरूरी हो गई है। अगर ऐसा नहीं होता है तो देश में कोल प्रॉडक्शन पर असर पड़ेगा।' मार्च में खत्म होने वाले फाइनेंशियल ईयर में कोल इंडिया 670 मिलियन टन कोयले की सप्लाई कर सकती है। यह एक साल पहले के मुकाबले 17 फीसदी ज्यादा होगी।

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