भोपाल । आर्य समाज शाखा महावीर नगर में गत दिनों ” यदाकदा ” नामक शीर्षक के लघुकथा संग्रह का समारोहपूर्वक विमोचन किया गया। इसमें जीवन के अनुभव पर आधारित लघुकथाओं को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है। इसकी लेखक श्रीमती कैलाश पुंछी हैं जो भोपाल के आनंद विहार स्कूल में लगभग 30 वर्ष तक शिक्षक रहीं हैं।
वे अभी अपनी उम्र के आठ दशक पार कर चुकीं हैं और आर्य समाज महावीर नगर में कोषाध्यक्ष के पद पर सक्रिय होकर धर्म सेवा, समाजसेवा कर रही हैं।
श्रीमती कैलाश पुंछी द्वारा रचित लघुकथा संग्रह ” यदा-कदा ” के विमोचन समारोह में बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी और आर्यजन उपस्थित थे।
इस समारोह की मुख्य अतिथि श्रीमती अनीता सक्सेना रहीं जो इन दिनों मध्य प्रदेश लेखिका संघ की प्रांताध्यक्ष हैं।उन्होंने श्रीमती कैलाश पुंछी द्वारा लिखी गई पुस्तक यदाकदा सराहना की । श्रीमती सक्सेना ने कहा कि यदाकदा में उल्लेखित कहानियों में जीवन के संघर्षों की झलक है। इनमें जीवन का सार है,।आदर्श है , प्रेरणा है |
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मध्य प्रदेश लेखक संघ के प्रांत अध्यक्ष डा. राम वल्लभ आचार्य ने यदाकदा पुस्तक की कुछ कहानियों की समीक्षा करते हुए बताया कि ये कहानियाँ कुछ ना कुछ संदेश दे रही हैं।
इस पुस्तक की कहानियों में समाज की सच्चाई का बयान किया गया है। सुंदर और सरल भाषा में कहानियांँ लिखी गई हैं । सभी कहानियों में जीवन का सार है | इस अवसर पर जानी मानी लेखिका श्रीमती डॉक्टर मीना शुक्ला ने भी श्रीमती कैलाश पुंछी की कहानियों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कुछ कहानियों की समीक्षा भी की |
जाने माने वरिष्ठ पत्रकार चंद्रहास शुक्ल ने भी श्रीमती कैलाश पुंछी की लघु कथाओं को प्रासंगिक बताया। श्री शुक्ल ने कहा कि यदाकदा में प्रकाशित कहानियों में जो संदेश है, वह प्रेरणात्मक है|इस अवसर पर गीतकार श्रीमती अनुलता राज नायर, आर्य समाज की प्रधान अर्चना सोनी ,उप प्रधान श्रीमती राकेश शर्मा ने भी अपने विचार प्रकट किए |
कार्यक्रम का संचालन आर्य समाज की मंत्री श्रीमती सरोज लता सोनी ने किया और आभार यदाकदा की लेखिका श्रीमती कैलाश पुंछी ने माना। उन्होंने सभी साहित्यप्रेमियों को, आर्य समाज के पदाधिकारियों , सदस्यों को यदाकदा पुस्तक की प्रति और कुछ पौधे उपहार में दिए।
उल्लेखनीय है कि आर्य समाज महावीर नगर में इन दिनों नियमित धार्मिक गतिविधियों के साथ ही संस्कृति, साहित्य पर केंद्रित विविध आयोजन भी खूब हो रहे हैं। इनमें आर्य समाज से जुड़े लोगों के साथ ही साहित्य में रुचि रखनेवाले भी उत्साहपूर्वक शामिल हो रहे हैं। इन कार्यक्रमों में महिलाओं की सक्रियता भी अधिक देखी जा रही है।
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