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सरकार को अपनी ताकत दिखाएंगी जातियां

भोपाल में 4 को ब्राह्मण और किरार समाज कर रहे हैं सम्मेलन

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भोपाल। अपनी मांगे मनवाने के लिये अलग-अलग समुदाय चुनावी साल को अहम मान रहे हैं। सरकार पर दबाव बनाने के लिये इस कड़ी में जातियां भी पीछे नहीं है। राजपूत, पिछड़ा वर्ग और एससीएसटी के सम्मेलनों के बाद अब किरार और ब्राह्मण समाज ताकत दिखाने की तैयारी में है। मांगों को पूरा कराने 4 जून को आयोजित सम्मेलन इस मायने में अहम समझा रहा है। खास बात यह है कि दोनों ने ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विशेष रूप से इसमें आमंत्रित किया है।
2018 के बाद भेल के दशहरा मैदान में किरार धाकड़ समाज के सम्मेलन को सबसे अहम समझा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं इसी समाज से आते हैं और उनकी धर्म पत्नी साधना सिंह संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष है। चुनाव पूर्व इस आयोजन को लेकर व्यापक तैयारियां की गई है। इसको एक तरह से शक्ति प्रदर्शन के तौर पर इसलिये भी देखा जा रहा है क्योंकि इसमें मप्र के अलावा उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत अन्य राज्यों के सामाजिक लोगों को बुलाया गया है। आगामी चुनाव को देखते हुए इसे महाकुंभ का नाम दिया गया है। इसको लेकर शहरभर में होर्डिंग सज चुके हैं। युवक-युवती परिचय भी यहां होगा। इसके बहाने प्रदेश सहित सामाजिक बंधु शामिल होने के लिये यहां पहुंच रहे हैं।

ब्राह्मण समाज की मांग में प्रमुख है एट्रोसिटी एक्ट की समाप्ति
भेल के ही जम्बूरी मैदान में ब्राह्मण समाज का महाकुंभ भी इसी दिन होने जा रहा है। इसकी 11 मांगों में सबसे प्रमुख एट्रोसिटी एक्ट की समाप्ति है। इसके अलावा 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ और ब्राह्मण आयोग का संवैधानिक गठन शामिल है। महाकुंभ में विशिष्ट अतिथि मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान होंगे। वहीं मुख्य अतिथि के रूप में सनातन धर्म के सबसे बड़े आचार्य द्वारिका पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती महाराज को आमंत्रित किया गया है। माना जा रहा है कि ब्राह्मण समाज एक मंच पर आकर सभी राजनीतिक दलों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहा हैं कि ब्राह्मणों के समर्थन बिना इस प्रदेश में किसी की भी सरकार बनने वाली नहीं है। वर्ष 2018 में भी ब्राह्मणों की नाराजगी के चलते भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। लेकिन जिस तरह से सभी राजनीतिक दल दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग पर नजर है। उसे देखते हुए अब ब्राम्हण समाज भी एक मंच पर अगर अपने हक की लड़ाई लडने की तैयारी में जुट गया है।

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