भोपाल
बृजमोहन ने सबसे पहला चुनाव स्वरूपचंद जैन के खिलाफ लड़ा था, और 3 हजार से भी कम वोटों से जीते थे। इसके बाद स्वरूपचंद जैन ने चुनाव लडऩे से मना कर दिया, और फिर राजकमल सिंघानिया उतरे। सिंघानिया के बाद पारस चोपड़ा को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया। दिलचस्प बात यह है कि ये सभी पराजित प्रत्याशी दोबारा टिकट की मांग नहीं की, और क्षेत्र से कट गए।
राज्य बनने के बाद पूर्व उप महापौर गजराज पगारिया चुनाव मैदान में उतरे। पगारिया के बाद योगेश तिवारी, और फिर डॉ. किरणमयी नायक को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया। इसके बाद वर्ष-2018 में कन्हैया अग्रवाल को पार्टी ने टिकट दी। कांग्रेस के पक्ष में हवा थी फिर भी कन्हैया चुनाव हार गए। कन्हैया तकरीबन 15 हजार वोटों से चुनाव हारे। इसके बाद 2023 में महंत रामसुंदर दास को टिकट मिली। उन्हें सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा।
दिलचस्प बात यह है कि कन्हैया को छोडक़र बृजमोहन को हराने वाला कोई भी उम्मीदवार क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहा। यही वजह है कि बृजमोहन अग्रवाल के लिए एक तरह से खुला मैदान ही रहा। अब कन्हैया सक्रिय थे, लेकिन पार्टी ने उनका नाम आगे नहीं बढ़ाया। ये अलग बात है कि बृजमोहन अग्रवाल चुनाव मैदान में नहीं है। देखना है आगे क्या होता है
You Might Also Like
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने सोमवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में की प्रेस ब्रीफिंग
बाबा साहब की सामाजिक और राजनैतिक उपेक्षा करने वाली कांग्रेस बाबा साहब के नाम पर ढोंग कर रही है कांग्रेस...
बाबा साहब की सामाजिक और राजनैतिक उपेक्षा करने वाली कांग्रेस बाबा साहब के नाम पर ढोंग कर रही है: विष्णुदत्त शर्मा
- कांग्रेस और उसका टूलकिट गैंग अमित शाह जी के बयान को एआई से एडिट कर साजिश रच रहा है...
स्वास्थ्य मानकों में सुधार के लिए सशक्त स्वास्थ्य सेवाओं के साथ जन-जागरूकता ज़रूरी : उप मुख्यमंत्री शुक्ल
भोपाल उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि प्रदेश के हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना हमारी सर्वोच्च...
पति का स्पर्म सुरक्षित रखने के लिए पत्नी की मांग, 4 माह पहले ही हुई थी शादी
रीवा एक युवती की सिर्फ 4 महीने पहले शादी हुई थी और एक्सीडेंट में पति की जान चली गई. पति...