मध्य प्रदेश

जेंडर पर आधारित नहीं है एविएशन सेक्टर : कैप्टन मनीषा

( अमिताभ पाण्डेय )
भोपाल। ( अपनी खबर )

साहित्य के गलियारों में इन दिनों चर्चित हो रही कैप्टन मनीषा मोहन पुरी का मानना है कि एविएशन सेक्टर जेंडर पर आधारित  नहीं है। उनके मुताबिक "अब वक़्त बदल चुका है। इस सेक्टर में लड़कियों के लिए भी लड़कों के बराबर अवसर हैं। बस, उन्हें अपने लक्ष्य पर फ़ोकस रखने की ज़रूरत है।"

 कैप्टन मनीषा ने उक्त आशय के विचार सोसाइटी फ़ॉर कल्चर ऐंड एन्वाइरन्मन्ट की ओर से भारत भवन में  चल रहे भोपाल लिटरेचर ऐंड आर्ट फेस्टिवल के दौरान व्यक्त किए।

फेस्टिवल के  दूसरे दिन  अपनी पहली किताब  'फ्रॉम सारीस टू स्ट्राइप्स ' पर  चर्चा  करते हुए उन्होंने बड़े रोचक अंदाज ने अपने विचार साझा  किए। इस किताब का प्रकाशन मंजुल पब्लिशिंग हाउस के इंप्रिंट एमेरीलिस ने अँग्रेज़ी भाषा में किया है।

इस किताब में कैप्टन मनीषा ने पायलट बनने का सपना साकार होने के  अपने संघर्ष को बयान किया । उन्होंने   कुछ अन्य महिला पायलट्स की संघर्ष गाथाओं  और चुनौतियों को भी  साहित्यप्रेमियों  के समक्ष प्रेरणास्पद ढंग से रखा । लेखिका से  संवाद निधि चापेकर, डॉ. मीरा दास और स्मिता सिंह ने किया।

उन्होंने कहा कि एविएशन सेक्टर में यह मक़ाम हासिल करने के दौरान महिलाओं को अनेक कठिन चुनौतियों और संघर्षों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने बयाया कि वर्ष 1935 में सरला ठुकराल ने भारत में सबसे पहले महिला पायलट के तौर पर आसमान को छुआ था।उस दौर में महिलाओं के लिए घर से अकेले बाहर निकलना भी मुश्किल था।

ऐसे में विमान उड़ाने का सपना तो अकल्पनीय था। वे साड़ी पहनकर विमान उड़ाती थीं। इस किताब का शीर्षक भी उनसे ही से प्रेरित है।वर्ष  1950 के दशक तक भी महिलाओं को सिर्फ़ जेंडर के आधार पर कमर्शियल पायलट नहीं बनाया जाता था।

विमानन मंत्रालय  तक से भी  यही जवाब आता था। वर्ष 1955 में  कैप्टन  प्रेम माथुर को  पहली महिला कमर्शियल पायलट के तौर पर लाइसेंस मिला था। इंडियन एयरलाइन्स ने वर्ष  1966 में पहली बार किसी महिला पायलट को नियुक्त किया था।  उन्होंने टेनिस खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा के मशहूर कथन " बॉल को नहीं पता मेरा जेंडर क्या है'' का उल्लेख करते हुए कहा कि एविएशन सेक्टर पर भी यही बात लागू होती है।

 आप चाहें पुरुष हों या महिला। पायलट के तौर पर आप विमान में जो कमांड डालेंगे, परिणाम एक समान ही आएगा।  इसलिए लड़कियाँ  करियर को लेकर चर्चा भले ही किसी से भी कर लें, लेकिन अपने लक्ष्य पर फ़ोकस और भीतर का विश्वास  बनाए रखें। उन्होंने भोपाल से अपने जुड़ाव का ज़िक्र करते हुए
 स्कूल और फ्लाइंग एकेडेमी  में बिताए समय को याद किया।
संवाद के दौरान बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।

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