ग्लास या स्टील की तुलना में मिट्टी से बनी वस्तुएं ऊर्जा को अवशोषित नहीं करतीं, बल्कि उसे धीरे-धीरे स्थिर रूप में प्रसारित करती हैं। इसलिए घर में सुखद गति वाली सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। फेंगशुई के अनुसार, मिट्टी और जल का संयोजन अंदर की उलझनों को शमन करता है इसलिए घर में मटका रखना भावनात्मक स्तर पर स्थिरता लाता है।
वास्तु और फेंगशुई के अनुसार घर में मिट्टी का मटका रखना जलधारण, ऊर्जा-संतुलन और मानसिक शांति का एक अदृश्य यंत्र है। वास्तुशास्त्र में मटका प्राकृतिक जल-स्थिरता यंत्र है। मटका स्वयं प्राकृतिक पृथ्वी तत्व से बना होता है और उसमें जल रखा जाता है। यह संयोजन पृथ्वी + जल = स्थिरता + पोषण का प्रतीक होता है।
वास्तु के अनुसार मटका पूर्व या उत्तर दिशा में रखने से मन की उग्रता, मानसिक अशांति और पारिवारिक विवाद कम होते हैं। यदि किसी घर में अग्निकोण (दक्षिण-पूर्व) या वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में दोष हो तो मटका रखना एक प्रकार का तात्त्विक बैलेंसर का काम करता है।
घर में मिट्टी का मटका रखने के लाभ: गहराई में जाएं तो मटका एक ऊर्जा कंटेनर है। यह केवल पानी रखने का बर्तन नहीं है बल्कि एक ऊर्जा नियंत्रण यंत्र (Energy Modulator) की तरह काम करता है।
ये घर के तापमान और मानसिक तनाव को शांत करता है।
गति करती ऊर्जा को संयत करता है, घर को बेस देता है
खड़कते बर्तनों के मुकाबले शांत जल ध्वनि देता है।
मिट्टी की सूक्ष्म विद्युत आवृत्ति आसपास की अशुद्धता सोखती है।
धन और स्वास्थ्य का प्रतीक है घर में रखा मिट्टी का मटका। यदि मटके में तुलसी पत्र या चांदी का सिक्का डाल दिया जाए, तो यह धन की गति और शुद्धता को बढ़ाता है यह फेंगशुई के "वॉटर बाउल" सिद्धांत से मेल खाता है।
संतान के स्वास्थ्य में सुधार होता है। यदि बच्चे चिड़चिड़े या बार-बार बीमार होते हैं तो पूर्व दिशा में रखा गया मटका उनके मन और शरीर दोनों को शांत करता है।
रात को नींद बेहतर आती है। अगर मटका घर के उत्तर-पूर्व कोने में हो, तो घर की लयबद्ध ऊर्जा नींद की गुणवत्ता सुधारती है।
दांपत्य जीवन में सामंजस्य बढ़ता है। मिट्टी के संपर्क से यौन और भावनात्मक ऊर्जा संतुलित होती है।
बोलचाल के टकराव में कमी विशेषकर यदि मटका पास में तुलसी, गुलाब या शंख रखा जाए तो वाणी की आक्रामकता में कमी आती है।
घर में मिट्टी का मटका रखने के नियम और सुझाव:
मटका को हमेशा पानी से भरा और ढका रखें खाली मटका न रखें, वह विपरीत ऊर्जा उत्पन्न करता है।
हर शुक्रवार को मटके का जल बदलें और यदि संभव हो तो धूप भी दिखाएं।
मटके के पास कभी कोई लोहे की वस्तु न रखें इससे उसकी प्राकृतिक ऊर्जा बाधित होती है।
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