भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया, मिलेगी वैश्विक पहचान
नई दिल्ली
भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। भारतीय निवेशक इंडसब्रिज वेंचर्स और अमेरिकी कंपनी फेडटेक ने मिलकर भारत-अमेरिका रक्षा और अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए सात भारतीय स्टार्टअप्स का चयन किया है। यह भारत-अमेरिका का पहला ऐसा सहयोग है, जो दोनों देशों के बीच निजी क्षेत्र की साझेदारी को बढ़ावा देगा और भारतीय कंपनियों को वैश्विक रक्षा और अंतरिक्ष बाजारों में महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।
भारत के 7 स्टार्टअप्स का चयन
इस नए कार्यक्रम में चुने गए सात स्टार्टअप्स में प्रमुख नाम हैं:
कैलीडईओ: यह कंपनी अंतरिक्ष इमेजिंग के क्षेत्र में काम करती है।
ईथरियलएक्स: यह कंपनी रॉकेट निर्माण में विशेषज्ञता रखती है।
श्याम वीएनएल: यह एआई-संचालित तकनीकों पर काम कर रही है।
यह कार्यक्रम इन कंपनियों को अमेरिकी रक्षा विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ काम करने का अवसर प्रदान करेगा। इन कंपनियों को उपग्रह अवलोकन, अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में उभरती हुई तकनीकों पर काम करने का मौका मिलेगा।
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग का महत्व क्या है?
इंडसब्रिज वेंचर्स के प्रबंध भागीदार राहुल देवजानी ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम दोनों देशों के बीच तकनीकी और वाणिज्यिक सहयोग को नई दिशा देगा। भारत को इससे न केवल उभरते हुए अमेरिकी रक्षा बाजार में प्रवेश का मौका मिलेगा, बल्कि इसे अमेरिका के शीर्ष रक्षा उद्योग नेताओं जैसे नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन, लॉकहीड मार्टिन और आरटीएक्स के साथ सहयोग का अवसर भी मिलेगा।
अमेरिकी रक्षा उद्योग में होगी प्रतिस्पर्धा
इस कार्यक्रम के जरिए भारतीय स्टार्टअप्स को सालाना 1.5 बिलियन डॉलर के अमेरिकी रक्षा कारोबार में प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा। भारतीय कंपनियों को अब 500 मिलियन डॉलर से लेकर 1 बिलियन डॉलर तक का वार्षिक राजस्व उत्पन्न होने की संभावना है।
भारत और अमेरिका का बढ़ता सहयोग
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन के बीच हाल ही में हुई मुलाकात में दोनों देशों के बीच रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सहयोग पर चर्चा की गई थी। इस चर्चा का उद्देश्य दोनों देशों के रक्षा नवाचार इकाइयों के बीच सहयोग बढ़ाना और सैन्य समाधानों के लिए अत्याधुनिक वाणिज्यिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने में तेजी लाना था।
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