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कर्नाटक में विवादों के बीच मस्जिदों में लाउडस्पीकर प्रतिबंध की मांग पकड़ रही तूल

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बेंगलुरू। कर्नाटक में ‘हलाल’ मांस विरोधी अभियान के बीच बजरंग दल और श्रीराम सेना जैसे संगठनों ने मस्जिदों में लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध काे लेकर मुहिम तेज की है। यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना है। इस मुद्दे पर कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई का कहना है कि यह किसी को मजबूर करने वाली बात नहीं है। उन्होंने कहा कि यह तो हाईकोर्ट का आदेश है और सिर्फ अजान के लिए नहीं है। सीएम ने कहा कि हर मुद्दे पर बात करके लोगों को समझाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह सभी तरह के लाउडस्पीकरों के लिए है।  

कर्नाटक में श्रीराम सेना के संयोजक प्रमोद मुतालिक ने इस संबंध में एक वीडियो जारी किया था। उन्होंने कहा था कि मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगाया जाए और ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को मस्जिद प्रबंधन को लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल नहीं करने का आदेश देना चाहिए। मुतालिक ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कहा था कि जब शीर्ष अदालत ने रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है तो फिर मस्जिदों में इस वक्त अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है।  

मस्जिदों में लाउडस्पीकर के विवाद के मुद्दे से पहले कर्नाटक दो मुद्दों को लेकर पिछले तीन महीनों से चर्चा में है। पहले स्कूलों में हिजाब बैन का मामला देशभर में छाया रहा। इसके बाद हिंदू जन जागृति समिति ने हलाल मीट का बहिष्कार करने की अपील की। इसे लेकर भी राज्य चर्चा में है। जानें क्यों हैं दोनों विवाद…

हिजाब विवाद : कर्नाटक के उडुपी से यह विवाद शुरू हुआ। यहां कुछ लड़कियों ने प्रिंसिपल के पास जाकर बिना हिजाब पहने स्कूल में प्रवेश करने से इंकार कर दिया। इसके बाद हिंदू छात्र-छात्राएं भगवा गमछे पहनकर आने लगे। विवाद बढ़ने पर सरकार ने धार्मिक परिधान पहनकर स्कूल आने पर रोक लगा दी। मामला हाईकोर्ट गया तो उसने भी हिजाब को इस्लाम की धार्मिक प्रथा मानने से इंकार करते हुए शिक्षण संस्थानों में हिजाब की अनुमति देने से इंकार कर दिया। अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहंुचा है, लेकिन शीर्ष अदालत का कहना है कि यह मामला तुरंत सुनने योग्य नहीं है।  

हलाल मीट विवाद : बजरंग दल, विहिप और हिंदू जन जागृति समिति ने हलाल मीट का बहिष्कार करने की मांग की है। हिंदुओं से की गई इस अपील में कहा गया है कि मुस्लिम अपने धार्मिक अनुष्ठान के लिए जानवरों को तड़पाकर मारते हैं। और उसे मार्केट में बेचते हैं। कर्नाटक समेत देश भर में कई जगहों पर देवी-देवताओं को भी त्योहारों के दौरान मांस का भोग लगता है, लेकिन हिंदू संगठनों का कहना है कि जानवरों को तड़पाकर मारा जाने वाला मांस अशुद्ध होता है। उससे देवी-देवताओं को भोग नहीं लगाया जा सकता है। हिंदू जन जागृति का कहना है कि हलाल मीट का मार्केट करोड़ों रुपए का है। इससे होने वाली आय को देश विरोधी गतिविधियों में लगाया जा रहा है।

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