नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आ चुके हैं, और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) को बड़े अंतर से हराकर 70 में से 48 सीटें जीत ली हैं. आप को केवल 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा. अब सवाल यह है कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? भाजपा के पास कई विकल्प हैं, और पार्टी के भीतर इसको लेकर चर्चा तेज है.
सबसे आगे प्रवेश वर्मा
प्रवेश वर्मा, जो पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली विधानसभा सीट से हराकर चर्चा में आए हैं. उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है. प्रवेश ने न केवल केजरीवाल को हराया, बल्कि पार्टी के भीतर भी उनकी पकड़ मजबूत है.
अशीष सूद और पवन शर्मा
अशीष सूद, जो जनकपुरी सीट से जीते हैं, भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें दक्षिण दिल्ली नगर निगम में प्रशासनिक अनुभव है और वर्तमान में वे गोवा और जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रभारी भी हैं. दूसरी ओर, पवन शर्मा ने उत्तम नगर सीट से 1,03,613 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की है. वे असम इकाई के सह-प्रभारी हैं और मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम भी चर्चा में है.
इन नामों पर भी चर्चा
भाजपा के पूर्व दिल्ली अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. गुप्ता ने रोहिणी सीट से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है, जबकि उपाध्याय ने मालवीय नगर सीट से 39,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की. उपाध्याय का आरएसएस के साथ मजबूत रिश्ता है, जो उनकी दावेदारी को और मजबूत करता है.
ये महिला उम्मीदवार भी दावेदार
भाजपा केंद्रीय नेतृत्व महिला उम्मीदवार को भी मौका दे सकता है. रेखा गुप्ता और शिखा रॉय दो ऐसे नाम हैं जो इस रेस में शामिल हो सकते हैं. शिखा रॉय ने ग्रेटर कैलाश सीट पर आप के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज को 3,188 वोटों के अंतर से हराया है. वहीं, रेखा गुप्ता ने शालीमार बाग सीट पर आप की बंदना कुमारी को 29,000 से अधिक वोटों के अंतर से पराजित किया.
क्या कहते हैं सीनियर लीडर?
अगर भाजपा विधायक दल से बाहर किसी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करती है, तो पूर्वी दिल्ली के सांसद और केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी का नाम भी चर्चा में है. तिवारी पूर्वांचल के प्रमुख चेहरे हैं और उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें भी मौका मिल सकता है. हालांकि, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश के पिछले अनुभवों को देखते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए अटकलें लगाना मुश्किल है. पार्टी का फैसला अक्सर आखिरी पल में ही सामने आता है.
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