उत्तर प्रदेश

अब्दुल्ला आजम की कोर्ट ने ख़ारिज की विधायकी

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रामपुर

सपा के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खान के बेटे विधायक अब्दुल्ला आजम की विधायकी एक बार फिर चली गई है। विधायकी जाने के साथ ही उनके नाम अजब रिकॉर्ड दर्ज हो गया है। अब्दुल्ला आजम देश में ऐसे अकेले नेता हैं जिन्होंने अब तक दो चुनाव लड़े और दोनों ही बार कोर्ट से उनकी विधायकी छीन ली गई। दोनों ही बार वह स्वार-टांडा विस सीट से चुने गए। देश में अपने तरह का यह इकलौता मामला है।

छजलैट केस में सोमवार को दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद अब्दुल्ला आजम की सीट रिक्त घोषित होने की अधिसूचना बुधवार को जारी हो गई। इसके साथ ही उनकी विधायकी चली गई है। इससे पहले 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में सपा नेता आजम खां ने अपने छोटे बेटे को राजनीति में लांच करते हुए अब्दुल्ला आजम खान को स्वार विधानसभा क्षेत्र से सपा का टिकट दिलाया था।

टिकट घोषित होते ही वह विरोधियों के निशाने पर आ गए थे। अब्दुल्ला ने चुनाव में नामांकन पत्र दाखिल किया तो उनके प्रतिद्वंदी प्रत्याशी नवाब काजिम अली खां ने उम्र का विवाद उठाते हुए अब्दुल्ला आजम खां के नामांकन पर आपत्ति लगाई थी।

इस आपत्ति पर सुनवाई के लिए वकीलों के बीच बहस हुई और फिर उस वक्त के स्वार विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी ने अब्दुल्ला आजम के पर्चे को वैध करार दे दिया था। लेकिन नवाब काजिम अली खां ने हार नहीं मानी और मामला हाईकोर्ट तक ले गए थे। करीब दो साल तक केस चलने के बाद  हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन को शून्य करार दिया था। इसके चलते अब्दुल्ला की विधायकी चली गई।

2022 में एक बार फिर स्वार-टांडा विस सीट से सपा ने अब्दुल्ला आजम को प्रत्याशी बनाया। अब्दुल्ला दोबारा यहां से विधायक चुने गए लेकिन, इस बार पंद्रह साल पुराने छजलैट प्रकरण उन्हें दो साल की सजा हो गई, इसके चलते दोबारा विधायकी गई है।

कम उम्र में लड़ा पहला चुनाव और दर्ज की ऐतिहासिक जीत

सपा सांसद आजम खां के छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम ने विधानसभा का पहला चुनाव भले ही कम उम्र में लड़ा लेकिन, इस चुनाव में उन्होंने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। उन्होंने पहले चुनाव में ही एक लाख से अधिक वोट प्राप्त किए थे और 47 हजार वोटों से जीत दर्ज कराई थी।

तब दो साल नौ माह रहे विधायक, अब साल भी पूरा नहीं

अब्दुल्ला आजम ने पहली बार स्वार-टांडा से विस चुनाव जीतकर 14 मार्च 2017 को शपथ ली थी और 16 दिसंबर 2019 को उनकी विधायकी रद हुई थी। ऐसे में महज दो साल नौ माह वह विधायक रहे थे, हालांकि वह निर्वाचन ही शून्य घोषित हो चुका था। दोबारा विधायक चुने गए तो अभी शपथ ग्रहण को साल नहीं बीता है कि विधायकी छीन गई है।

स्वार सीट पर उप चुनाव की सरगर्मियां शुरू

स्वार विस सीट रिक्त घोषित होने के साथ ही यहां सियासी सरगर्मियां शुरू हो गई हैं। आजम के सियासी विरोधियों ने अपने-अपने समीकरण बैठाने शुरू कर दिए हैं। नवाब काजिम अली खां बीते कई दिनों से पाकिस्तान के दौरे पर थे, वह पाकिस्तान से लौट रहे हैं।

 

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