हरियाणा के 5 जिलों में मॉक ड्रिल 1 अगस्त को, सेना-NDRF समेत कई टीमें होंगी तैनात

चंडीगढ़
हरियाणा के 5 जिलों में 1 अगस्त को एक स्पेशल मॉक ड्रिल की जाएगी। इस अभ्यास का नाम "सुरक्षा चक्र" रखा गया है। इसका मकसद ये देखना है कि अगर किसी बड़े हादसे जैसे भूकंप, केमिकल रिसाव या कोई और आपदा आ जाए, तो सरकार की टीमें किस तरह से काम करती हैं। दिल्ली-एनसीआर में आपदा से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए 29 जुलाई से 01 अगस्त तक एक मेगा मॉक ड्रिल 'EXERCISE SURAKSHA CHAKRA' आयोजित की जा रही है. यह अभ्यास राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), भारतीय सेना और दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश सरकारों के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया जा रहा है.
यह मॉक ड्रिल गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह और रेवाड़ी में होगी। इस दिन पूरे NCR में फील्ड लेवल पर अभ्यास किया जाएगा। इसमें आपातकालीन वाहन, बचाव टीमें, सायरन, राहत शिविर आदि दिखाई देंगे।
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) के अनुसार, इस ड्रिल में सेना, NDRF, सिविल डिफेंस, पुलिस, मौसम विभाग (IMD), भूकंप निगरानी एजेंसी (NCS) और कई गैर-सरकारी संगठन भी हिस्सा लेंगे।
यह अब तक का NCR में सबसे बड़ा बहु-राज्यीय, बहु-एजेंसी आपदा प्रबंधन अभ्यास माना जा रहा है. इसका उद्देश्य बड़े आपदाओं जैसे भूकंप और औद्योगिक रासायनिक हादसों से निपटने की तैयारी और विभिन्न एजेंसियों के बीच कोऑर्डिनेशन को मजबूत करना है.
01 अगस्त को होगा मॉक ड्रिल का फील्ड एक्शन
इस अभ्यास का समापन 01 अगस्त को एक फुल-स्केल मॉक एक्सरसाइज से होगा, जिसमें पूरे NCR के 18 जिलों में एक बड़े भूकंप की स्थिति को सिमुलेट किया जाएगा. लोगों से अपील की गई है कि वे घबराएं नहीं, यह केवल एक अभ्यास है.
मॉक ड्रिल के दौरान देखने को मिलेंगे ये नजारे
आपातकालीन वाहनों की आवाजाही बढ़ेगी: एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, पुलिस और सेना के वाहन सड़कों पर सामान्य से अधिक संख्या में नजर आ सकते हैं.
रेस्क्यू टीमें तैनात होंगी: NDRF, सिविल डिफेंस, सशस्त्र बल और अन्य एजेंसियों के जवान अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय रहेंगे.
सायरन और अनाउंसमेंट: मॉक ड्रिल शुरू करने के संकेत के लिए सायरन और पब्लिक एड्रेस सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा.
अस्थायी सुविधाएं: राहत शिविर, मेडिकल सहायता केंद्र, स्टेजिंग एरिया और इन्सिडेंट कमांड पोस्ट जैसी अस्थायी संरचनाएं तैयार की जाएंगी.
बचाव अभियान का अभ्यास: टीमों की ओर से खोज-बचाव, घायलों को निकालना और प्राथमिक चिकित्सा देना जैसे अभ्यास किए जाएंगे.
लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे मॉक ड्रिल के दौरान सहयोग करें और किसी भी गतिविधि से भ्रमित या भयभीत न हों. यह अभ्यास NCR क्षेत्र को आपदा के समय बेहतर और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से किया जा रहा है.
अभ्यास का पूरा कार्यक्रम
29 जुलाई: मानेकशॉ सेंटर में उच्चस्तरीय मीटिंग- सभी भागीदार एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी NCR की आपदा प्रोफाइल और रणनीतियों पर चर्चा करेंगे.
30 जुलाई: टेबल टॉप एक्सरसाइज (TTEx)- आपदा प्रबंधन अधिकारी सैद्धांतिक स्तर पर योजनाओं का परीक्षण करेंगे.
01 अगस्त: फील्ड मॉक ड्रिल- दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के चयनित जिलों में बड़े पैमाने पर आपदा प्रतिक्रिया का अभ्यास.
ड्रिल में भाग लेंगे ये जिले
दिल्ली के सभी 11 जिले: सेंट्रल, ईस्ट, न्यू दिल्ली, नॉर्थ, नॉर्थ ईस्ट, नॉर्थ वेस्ट, शाहदरा, साउथ, साउथ ईस्ट, साउथ वेस्ट, और वेस्ट दिल्ली
हरियाणा के 5 जिले: गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह और रेवाड़ी
उत्तर प्रदेश के 2 जिले: गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद
पूरा सरकारी तंत्र होगा शामिल
यह अभ्यास ‘Whole-of-Government’ अप्रोच पर आधारित है. इसमें सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs), तकनीकी व वैज्ञानिक संस्थान जैसे मौसम विभाग (IMD), नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) और सिविल सोसाइटी संगठनों की भागीदारी होगी.
प्रशासन का कहना है कि NCR के सभी नागरिकों से सहयोग की अपेक्षा है. यह अभ्यास जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और भविष्य में किसी भी आपदा से निपटने की तैयारी के लिए किया जा रहा है.
हरियाणा के इन जिलों को क्यों चुना गया…
दिल्ली, यूपी के अलावा हरियाणा के पांच जिलों को चुनने की सिर्फ एक वजह है। पिछले एक महीने में यहां लगातार भूकंप के झटके महसूस किए हैं। एनडीएमए के सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में आने वाले समय में और भी भूकंप के झटके महसूस किए जा सकते हैं, जो अभी तक आए भूकंपों से अधिक शक्तिशाली हो सकते हैं। ऐसे में पहले से ही किसी भी बड़ी आपदा से निपटने के लिए ये मॉक ड्रिल जरूरी है।
हरियाणा में बार-बार भूकंप क्यों?
भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक उत्तराखंड के देहरादून से लेकर हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले तक जमीन के नीचे एक फॉल्ट लाइन है। इसमें जब प्लेट मूवमेंट होती है तो इसके आपस में टकराने से कंपन पैदा होता है। जिससे भूकंप के झटके महसूस होते हैं।
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