WHO ने की है सिफारिश, महंगी होगी शराब, कोल्ड ड्रिंक्स के भी बढ़ेंगे 50% दाम

नई दिल्ली
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया भर के देशों से तंबाकू, शराब और मीठे पेय पदार्थों पर कर बढ़ाकर अगले दशक में इनकी कीमतों में 50% की वृद्धि करने का आग्रह किया है। यह सिफारिश हाल ही में स्पेन के सेविले में आयोजित यूएन फाइनेंस फॉर डेवलपमेंट सम्मेलन में पेश की गई और इसका उद्देश्य न केवल गंभीर बीमारियों को रोकना है, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली के लिए आर्थिक संसाधन जुटाना भी है। WHO के मुताबिक, इस कदम से मधुमेह, मोटापा, कैंसर जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। संगठन ने इसे "3 by 35" रणनीतिक योजना का हिस्सा बताया है, जिसका लक्ष्य 2035 तक एक ट्रिलियन डॉलर का राजस्व स्वास्थ्य करों से जुटाना है।
WHO के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा, “यह समय है कि सरकारें इस नए यथार्थ को स्वीकार करें और अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करें।” WHO के सहायक महानिदेशक डॉ. जेरेमी फैरर ने इसे सबसे प्रभावी स्वास्थ्य उपकरणों में से एक बताया। WHO के स्वास्थ्य अर्थशास्त्री गुइलेर्मो सांडोवाल के अनुसार, इस नीति के तहत किसी उत्पाद की कीमत जो आज एक मध्य-आय वाले देश में 4 डॉलर है, 2035 तक 10 डॉलर हो सकती है, जिसमें महंगाई भी शामिल होगी। कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में ऐसे टैक्स लगाने से उपभोग में गिरावट और स्वास्थ्य में सुधार देखा गया है।
भारत की पहल
इस वैश्विक सिफारिश से पहले अप्रैल 2025 में भारत में भी ऐसा ही कदम उठाने की बात सामने आई थी। ICMR-NIN (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन) के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय समूह ने अत्यधिक वसा, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थों पर स्वास्थ्य कर लगाने की मांग की थी। इस समूह ने सुझाव दिया था कि ऐसे अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों को स्कूल कैंटीनों और शैक्षणिक संस्थानों के पास बेचना प्रतिबंधित किया जाए, जैसा कि FSSAI की गाइडलाइन में भी कहा गया है।
हालांकि, WHO की इस नीति को उद्योग संगठनों से कड़ा विरोध भी मिल रहा है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ बेवरेज एसोसिएशंस की कार्यकारी निदेशक केट लॉटमैन ने कहा, “WHO का यह सुझाव कि मीठे पेयों पर टैक्स से मोटापा घटेगा, एक दशक की असफल नीतियों को नजरअंदाज करता है।” डिस्टिल्ड स्पिरिट्स काउंसिल की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमांडा बर्जर ने कहा, “अल्कोहल पर कर बढ़ाकर हानि रोकने का WHO का सुझाव भ्रामक और गलत दिशा में उठाया गया कदम है।”
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