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महाकुंंभ में श्रद्धालुओं की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए प्रयागराज जंक्शन पर नई व्यवस्था हुई लागू

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प्रयागराज

महाकुंभ 2025 में आने वाले श्रद्धालुओं की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए यात्रियों की सुरक्षा और सुगमता से प्रवेश/निकासी के लिए प्रयागराज जंक्शन पर दिनांक 7 फरवरी 2025 को प्रातः 8:00 बजे से अग्रिम आदेश तक एकल दिशा मूवमेंट लागू रहेगा। इस दौरान प्रवेश केवल सिटी साइड (प्लेटफ़ॉर्म नं.-1 की ओर) से दिया जाएगा और निकास केवल सिविल लाइंस साइड की ओर से होगा।

एंट्री और एग्जिट की नई व्यवस्था लागू
अनारक्षित यात्रियों को दिशावार यात्री आश्रय के माध्यम से प्रवेश दिया जाएगा। टिकट की व्यवस्था यात्री आश्रयों में अनारक्षित टिकट काउंटर, एटीवीएम और मोबाइल टिकटिंग के रूप में रहेगी। आरक्षित यात्रियों को प्रवेश गेट संख्या 5 के माध्यम से दिया जाएगा और उन्हें गाड़ी आने से आधे घंटे पहले ही प्लेटफॉर्म पर जाने की अनुमति होगी। स्टेशन के दोनों ओर इस दौरान आवागमन के लिए पर्याप्त साधनों की उपलब्धता बनी रहेगी।

महाकुंभ में देश-दुनिया के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालुओं के आने सिलसिला जारी है। बंसत पंचमी पर तीसरे अमृत स्नान में श्रद्धालुओं जनसैलाब उमड़ा। जहां 2 करोड़ 23 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया। वहीं गुरुवार को शाम 6 बजे तक 71.74 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान कियाय़ संगम में अब तक 39 करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं।

महाकुंभ क्यों मनाया जाता है
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों के बीच 12 दिन घमासान युद्ध हुआ। अमृत को पाने की लड़ाई के बीच कलश से अमृत की कुछ बूंदें धरती के चार स्थानों पर गिरी थीं। ये जगह हैं प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक। इन्हीं चारों जगहों पर कुंभ का मेला लगता है। जब गुरु वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं तब कुंभ मेला प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। जब गुरु और सूर्य सिंह राशि में होते हैं, तब कुंभ मेला नासिक में आयोजित होता है। गुरु के सिंह राशि और सूर्य के मेष राशि में होने पर कुंभ मेला उज्जैन में आयोजित होता है। सूर्य मेष राशि और गुरु कुंभ राशि में होते हैं, तब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

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