“आदि शंकराचार्य ने भारत को अद्वैत ज्ञान से प्रकाशित किया” : पद्मविभूषण रविशंकर
“आदि शंकराचार्य ने भारत को अद्वैत ज्ञान से प्रकाशित किया” : पद्मविभूषण रविशंकर
आज अद्वैत ज्ञान को वैज्ञानिक भी कर रहे स्वीकार : पद्मविभूषण रविशंकर
देश के हृदय में ‘एकात्मता के रूप में की मूर्ति’ की स्थापना गर्व का विषय
महाकुम्भ में ‘एकात्म धाम मंडपम्’ पहुँचे रविशंकर, अद्वैत लोक‘ प्रदर्शनी का किया अवलोकन
भोपाल
प्रयागराज महाकुम्भ में आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा अद्वैत वेदान्त दर्शन के लोकव्यापीकरण एवं सार्वभौमिक एकात्मता की संकल्पना के उद्देश्य से एकात्म धाम मंडपम् में वेदांत पर केंद्रित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है, इसी श्रृंखला में बुधवार को आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्थान के संस्थापक, वैश्विक आध्यात्मिक विचारक पद्मविभूषण रविशंकर एकात्म धाम पहुँचे,जहाँ उन्होंने आचार्य शंकर एवं अद्वैत वेदांत पर केंद्रित प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए ‘अद्वैत एवं शांति‘ विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। अपने संबोधन में भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्थान में आदि शंकराचार्य के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा, “आदि शंकराचार्य ने भारत को अद्वैत ज्ञान से प्रकाशित किया।”
रविशंकर ने मध्यप्रदेश सरकार के इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि देश के हृदय में एकात्मता की प्रतिमा के स्वरूप की स्थापना गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अद्वैत ज्ञान को वैज्ञानिक भी मान रहे हैं। आदि शंकराचार्य जी ने कहा कि "जगत मिथ्या," यानी जो दिखता है, वह सत्य नहीं है- इसी बात को वर्ष- 2022 में वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया। इस पर तीन वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार भी मिला। उन्होंने यही कहा कि "जो दिखता है, वह सत्य नहीं है और जो सत्य है, वह इन आँखों से नहीं दिखता।" इस सत्य को समझने और जानने के लिए हमें अंतर्मुखी होना आवश्यक है। इसके लिए आदि शंकराचार्य ने सौंदर्य लहरी जैसे ग्रंथ की रचना की।
रविशंकर ने कहा कि अध्ययन, अध्यापन और ध्यान करना जीवन के लिए अनिवार्य है। केवल बुद्धिगत ज्ञान पर्याप्त नहीं है; अनुभव आधारित ज्ञान होना चाहिए। मन, बुद्धि और अहंकार से परे जाकर चैतन्य स्वरूप की अनुभूति ही वास्तविक आत्मज्ञान है। जब हम इस चैतन्य स्वरूप की अनुभूति तक पहुंचेंगे, तभी आदि शंकराचार्य का स्वप्न पूर्ण होगा। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जो कार्य आदि शंकराचार्य की जन्मभूमि पर केरल सरकार ने नहीं किया वह वह कार्य मध्यप्रदेश की सरकार ने किया। अद्वैतामृत प्रवचन में चिन्मय मिशन कोयम्बटूर की प्रमुख स्वामिनी विमलानंद सरस्वती ने आचार्य शंकर विरचित प्रकरण ग्रंथ मनीषा पंचकम् पर दूसरे दिन युवाओं को सम्बोधित किया। शाम के सत्र में परमार्थ साधक संघ के आचार्य स्वामी प्रणव चैतन्य पुरी ने “अथातो ब्रह्म जिज्ञासा“ पर श्रोताओं को सम्बोधित किया।
बुधवार और गुरूवार दो दिनों तक शाम 6 बजे से प्रसिद्ध अभिनेता नीतिश भारद्वाज एवं कोरियोग्राफर मैत्रेयी पहाड़ी ‘शंकर गाथा’ की प्रस्तुति देंगी। आचार्य शंकर ने भारतवर्ष का भ्रमण कर सम्पूर्ण राष्ट्र को सार्वभौमिक एकात्मता से आलोकित किया। अद्वैत वेदान्त दर्शन के शिरोमणि, सनातन वैदिक धर्म के पुनरुद्धारक एवं सांस्कृतिक एकता के देवदूत शंकर भगवत्पाद का जीवन-दर्शन अनंत वर्षों तक संपूर्ण विश्व का पाथेय बने, इस संकल्प के साथ आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग आचार्य शंकर की संन्यास एवं ज्ञान भूमि 'ओंकारेश्वर' में भव्य एवं दिव्य 'एकात्म धाम' के निर्माण के लिए संकल्पित है।
एकात्मधाम प्रकल्प के अंतर्गत आचार्य शंकर की 108 फीट ऊँची बहुधातु 'एकात्मता की मूर्ति' आचार्य शंकर के जीवन तथा दर्शन पर आधारित संग्रहालय 'अद्वैत लोक' एवं अद्वैत वेदान्त दर्शन के अध्ययन, शोध एवं विस्तार हेतु 'आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान' की स्थापना करते हुए एकात्मता के वैश्विक केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
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