दिल फेल होना पर शारीरिक उपचार की जरूरत के अनुसार दिल को पंप नहीं कर पाता है, कारण से रोगी को थकान, सांस लेने में तकलीफ या थकान होना, सांस लेने में तकलीफ, खांसी या घरघराहट, दिल की दृष्टि तेज या उल्टी होना और मिटली जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं। कोरोनरी हृदय रोग, हाइपरटेंशन, मायोकार्डियल इन्फार्क्शन, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, दिल में सूजन या हृदय की तीव्रता की तीव्रता और हृदय को हार्ट फेल का मुख्य कारण माना जाता है।
हार्ट फेलियर का इलाज और इलाज आसान हो गया है। एलवीडी (लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्टेड) थेरेपी से हार्ट फेलियर का इलाज होता है। लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्टेड लिमिटेड एक मेडिकल मेडिकल है, जिसका उपयोग हार्ट फेलियर की खोज के लिए किया जाता है। यह हृदय के बाईं ओर मौजूद वेंट्रिकल से लेकर पूरे शरीर में रक्त पंप करता है। इस थेरेपी ने लाभार्थियों की जीविका की गुणवत्ता और उनके जीवित रहने की संभावनाओं को बढ़ाने का काम किया है।
व्युत्पत्ति और लाइफ स्टाइल जरूरी है तो साइंस ने हार्ट फेलियर के पैमाने और कमाई को आसान बना दिया है। लेकिन पोषण और जीवविज्ञान पर ध्यान देने से इसका प्रभाव कम हो सकता है। दिल्ली के शालीमार बाग में स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के तंबाकूजी और सीनियर डॉ. नित्यानंद त्रिपल के अनुसार हार्ट फेलियर के शिष्यों को दर्शन और जीवन शैली का ध्यान रखना चाहिए।
कम नमक के घटक में प्रचुर मात्रा में नमक लेने के कारण शरीर में पानी जमा हो सकता है, जिससे सूजन, सांस फूलने जैसे लक्षण पैदा होते हैं। इसलिए हार्ट फेलियर के मरीज को प्रतिदिन 1,500 से 2,000 तक का ऑक्सीजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
तरल पदार्थ का कम सेवन हार्ट फेलियर के कारण शरीर में पानी जमा हो सकता है। इससे बचने के लिए डॉक्टर हर रोज 1-1.5 लीटर से अधिक तंबाकू का सेवन न करने की सलाह देते हैं। इसमें पानी, साबूदाना, चॉकलेट आदि सभी ड्रिंक शामिल हैं।
वैज्ञानिक और वैज्ञानिक साइंटिस्ट दिल के लिए स्वास्थ्यवर्धक है। इसलिए खाने में फल, स्ट्रॉबेरी, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और स्ट्रेंथ फल जैसे नट्स, सीड्स और मछलियों का सेवन करें। इनका कागजात बनाना भी जरूरी है।
लाइफ़स्टाइल में वाॅलिंग, कॉमर्स और फ़्लोरिडा एरोबिक्स से हार्ट मसल्स मजबूत होते हैं।
पशु चिकित्सक नियंत्रण से दिल पर बैकअप वाला कम होता है।
क्रोनिक स्ट्रेस से हार्ट फेलियर के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए ध्यान, प्राणायाम और योग जैसे तकनीशियनों की मदद लें।
धूम्रपान और शराब का सेवन न करें।
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