All Type Of Newsप्रशासनिकमध्य प्रदेशराज्य

अनारक्षित वर्ग की पदोन्नति में बाधा नहीं है सुप्रीम कोर्ट का स्थगन

रूकी पदोन्नति शुरू करने स्पीक के सदस्यों ने ज्ञापन सौंपकर सीएम से कहा

प्रदेश व्यापी आंदोलन के लिये बाध्य न करे सरकार

भोपाल। आरक्षित वर्ग की पदोन्नति में सुप्रीम कोर्ट का स्थगन बाधा नहीं है। प्रदेश में बीते 8 वर्ष से बंद पदोन्नति प्रक्रिया शुरू करने की मांग के साथ यह तर्क सामान्य पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (स्पीक) ने दिया है। इसके मद्देनजर मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को ज्ञापन सौंपा गया है। इसके साथ ही स्पष्ट किया है कि पदोन्नति के लिये सरकार अधिकारी-कर्मचारियों को प्रदेश व्यापी आंदोलन के लिये बाध्य न करे।

इस दौरान संस्था के अध्यक्ष डॉ केएस तोमर ने आरोप लगाया कि सरकार पदोन्नति हेतु में यथास्थिति के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का बहाना लेकर पदोन्नतियां प्रारंभ नहीं कर रही हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट का यथास्थिति का आदेश अनारक्षित वर्ग के ऊपर लागू नहीं होता है। अनारक्षित वर्ग की पदोन्नतियां की जा सकती हैं तथा स्थिति का आदेश अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को रिवर्ट न किए जाने से संबंधित है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट द्वारा प्रदेश सरकार के नियमों में से मात्र नियम की वह कंडिका निरस्त की है जिनमें पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए बताया कि हाई कोर्ट द्वारा अनारक्षित अनारक्षित से पदोन्नति देने के संबंध में विभिन्न कर्मचारी के मुकदमों में पदोन्नति प्रारंभ किए जाने के निर्णय दिए हैं। सरकार विभिन्न मुकदमों में सिंगल बेंच डबल बेंच एवं पुनर्विचार याचिका में हार गई है। वर्तमान में सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध लगाई गई याचिका में हार गई है एवं सरकार की याचिका खारिज की गई है।

admin
the authoradmin