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भारतीय बाजार में अधिक प्रीमियम मॉडल पर विचार कर रही टोयोटा

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भारतीय बाजार में अधिक प्रीमियम मॉडल पर विचार कर रही टोयोटा

 सरकार ने 1,000 टन काला नमक चावल के निर्यात पर शुल्क हटाया

बंगाल के छोटे चाय उत्पादकों ने केवल हरी पत्तियां खरीदने के बीएलएफ के फैसले पर जतायी आपत्ति

मुंबई,
वाहन विनिर्माता टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (टीकेएम) भारतीय बाजार में बड़े आकार के वाहनों की तरफ ग्राहकों के बढ़ते झुकाव को देखते हुए अधिक प्रीमियम मॉडल लाने पर विचार कर रही है।

फॉर्च्यूनर और इनोवा जैसे लोकप्रिय मॉडल बेचने वाली कंपनी ने बुधवार को अपनी प्रवेश स्तर की एसयूवी ‘अर्बन क्रूजर टैसर’ को पेश कर अपने उत्पादों का दायरा बढ़ाया। इस मॉडल की शोरूम कीमत 7.73 लाख रुपये से 13.03 लाख रुपये तक है।

इस मौके पर टीकेएम के उप प्रबंध निदेशक (बिक्री एवं विपणन) तदाशी असाजुमा ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि यह मॉडल कंपनी को अधिक ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने में मदद करेगा। यह मॉडल टीकेएम के रणनीतिक साझेदार मारुति सुजुकी के फ्रॉन्क्स मॉडल का ही साझा संस्करण है।

असाजुमा ने कहा कि कंपनी का लक्ष्य बाजार में विविध ग्राहक जरूरतों को पूरा करना है और नया मॉडल भी उसी सोच का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कंपनी की योजना देश में अपने पोर्टफोलियो में हाइब्रिड और बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों सहित विविध इंजन किस्म वाले मॉडल रखने की है।

असाजुमा ने कहा कि भारतीय ग्राहक धीरे-धीरे छोटी कारों से बड़ी कारों का रुख कर रहे हैं और इसी को ध्यान में रखते हुए कंपनी नए मॉडल पेश करने के लिए एक नए विनिर्माण संयंत्र के साथ अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार भी कर रही है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या टीकेएम भारत में और अधिक प्रीमियम कारें लाने पर विचार करेगी, तो उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि यह जरूरी होना चाहिए।’’

यह पूछे जाने पर कि टोयोटा भारतीय बाजार में हाइब्रिड प्रौद्योगिकी या बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (बीईवी) में से किस पर ध्यान केंद्रित करेगी, उन्होंने कहा कि कंपनी के पास हर तरह की प्रौद्योगिकियां हैं और हमारी रणनीति ग्राहकों की जरूरतें पूरा करने की है।

उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल भारत में मजबूत हाइब्रिड वाहन ही व्यावहारिक समाधान दिख रहा है। लेकिन अधिक ग्राहक जरूरतों आने पर हम बीईवी के बारे में भी सोचेंगे।’’

हालांकि, उन्होंने देश में अपनी पहली बीईवी पेश करने की समयसीमा के बारे में कोई ब्योरा देने से इनकार कर दिया।

 

 सरकार ने 1,000 टन काला नमक चावल के निर्यात पर शुल्क हटाया

नई दिल्ली,
 सरकार ने छह निर्दिष्ट सीमा शुल्क केंद्रों के माध्यम से 1,000 टन तक काला नमक चावल की किस्म के निर्यात पर शुल्क हटा दिया है।

अभी तक काला नमक चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लागू था।

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, चावल की इस किस्म के 1,000 टन तक के निर्यात पर शुल्क छूट बुधवार से प्रभावी होगी।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने मंगलवार को निर्दिष्ट सीमा शुल्क केंद्रों के माध्यम से 1,000 टन तक काला नमक चावल के निर्यात की अनुमति दी थी।

काला नमक गैर-बासमती चावल की एक किस्म है, जिसके निर्यात पर पहले प्रतिबंध था।

चावल की इस किस्म के निर्यात को छह सीमा शुल्क केंद्रों के माध्यम से अनुमति दी गई है। ये केंद्र वाराणसी एयर कार्गो; जेएनसीएच (जवाहरलाल नेहरू कस्टम्स हाउस), महाराष्ट्र; सीएच (कस्टम हाउस) कांडला, गुजरात; एलसीएस (भूमि सीमा शुल्क स्टेशन) नेपालगंज रोड; एलसीएस सोनौली; एवं एलसीएस बरहनी हैं।

 

बंगाल के छोटे चाय उत्पादकों ने केवल हरी पत्तियां खरीदने के बीएलएफ के फैसले पर जतायी आपत्ति

कोलकाता
 पश्चिम बंगाल में छोटे चाय उत्पादकों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर पत्ती खरीद कारखानों (बीएलएफ) के केवल हरी पत्तियां खरीदने के निर्णय को ‘‘एकतरफा व निरंकुश’’ बताया और इसको लेकर आपत्ति जतायी है।

बीएलएफ ने खाद्य सुरक्षा नियामक और अधिकतम अवशेष स्तर (एमआरएल) मापदंडों को पूरा करने वाली केवल हरी पत्तियों खरीदने का फैयला किया है।

वेस्ट बंगाल यूनाइटेड फोरम ऑफ स्मॉल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन और उत्तर बंगाल के अन्य निकायों ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि इस क्षेत्र में करीब 50,000 छोटे उत्पादक हैं। करीब 10 लाख लोग या तो सीधे तौर पर या अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं।

छोटे चाय उत्पादकों के संगठन (एसटीजी) ने कहा कि बीएलएफ का निर्णय ‘‘एकतरफा और विनाशकारी है और इसका उत्तर बंगाल की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा।’’

उत्तर बंगाल में करीब 248 पत्ती खरीद कारखाने हैं, जो एसटीजी से हरी पत्तियां लेते हैं।

उत्तर बंगाल चाय उत्पादक कल्याण संघ ने 29 मार्च को चाय बोर्ड को पत्र लिखकर कहा था कि बीएलएफ केवल वही चाय बनाएगा जो भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानदंडों के अनुरूप हो, इस तथ्य की परवाह किए बिना कि हरी पत्ती किससे प्राप्त की गई हैं।

एसोसिएशन ने कहा कि बीएलएफ ने विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान कभी भी किसी प्रकार के रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया और हरी पत्तियां उत्तर बंगाल के विभिन्न छोटे उत्पादकों से ली गई।

चाय बोर्ड को लिखे पत्र में एसोसिएशन ने कहा, ‘‘बीएलएफ के लिए उनके द्वारा खरीदी गई प्रत्येक खेप की गुणवत्ता की जांच करना संभव नहीं है। यह निर्णय लिया गया कि कारखाने के सदस्य केवल हरी पत्तियां ही लेंगे…’’

इस बीच, विभिन्न श्रम संघ ने भी बीएलएफ के फैसले पर अपनी चिंता व्यक्त की। इससे संबंध में मुख्य सचिव और उत्तर बंगाल के अन्य जिला प्रशासन को भी पत्र लिखा है।

मलेशिया एयरलाइंस, इंडिगो ने कोडशेयर साझेदारी के लिए प्रारंभिक समझौते पर किए हस्ताक्षर

मुंबई,
 भारत और मलेशिया के बीच संपर्क को बेहतर बनाने के वास्ते मलेशिया एयरलाइंस तथा इंडिगो ने कोडशेयर साझेदारी के लिए प्रारंभिक समझौता किया है।

इंडिगो की ओर से जारी बयान के अनुसार, दोनों एयरलाइन के बीच समझौता लोगों को मलेशिया और भारत के बीच निर्बाध यात्रा के अधिक विकल्प प्रदान करने में मदद करेगा।

बयान में कहा गया, इस सहयोग से इंडिगो संचालित उड़ानों पर मलेशिया एयरलाइंस विपणन वाहक के रूप में भारत के साथ अपने संपर्क को मजबूत करने में सक्षम होगी, जबकि इंडिगो ग्राहकों को मलेशिया एयरलाइंस के व्यापक नेटवर्क के जरिए दक्षिण पूर्व एशिया के अधिक गंतव्यों तक पहुंच स्थापित करने का मौका मिलेगा।

इंडिगो ने कहा कि यह पारस्परिक व्यवस्था दोनों वाहकों को अपने ग्राहकों को निर्बाध संपर्क प्रदान करने की अनुमति देगी। इसके अलावा उन्हें अन्य सुविधाओं के बीच एकीकृत यात्रा कार्यक्रम का आनंद लेने में सक्षम बनाएगी।

मलेशिया एयरलाइंस वर्तमान में नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोच्चि, अहमदाबाद, अमृतसर और तिरुवनंतपुरम सहित भारत के नौ प्रमुख केंद्रों के लिए 71 साप्ताहिक उड़ानें संचालित करती है।

मलेशिया एविएशन ग्रुप के समूह प्रबंध निदेशक इजहाम इस्माइल ने कहा, ‘‘भारत हमारा सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय बाजार है। भारत में नौ संचालित केंद्रों से परे अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए इंडिगो के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए खुशी हो रही है। ’’

 

 

 

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