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राज्यसभा चुनाव में जनता सीधे नहीं लेती हिस्सा, विधायक देते हैं वोट

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लखनऊ
 राज्यसभा की 56 सीटों को लेकर देश के 15 राज्यों में चुनाव होने हैं। सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर चुनाव होना है। तकरीबन सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। यूपी में 7 सीटें भाजपा और 3 सीटें सपा के खाते में जानी तय मानी जा रही हैं। हालांकि, सपा की एक सीट पर उलटफेर की भी संभावना है लेकिन बाकी सीटों के लिए प्रत्याशियों की जीत लगभग तय है। राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया ही ऐसी होती है कि मतगणना से पहले ही अधिकांशतः किसे कितनी सीटें मिल रही हैं , ये तय हो जाता है। इसका एक कारण तो ये है कि राज्यसभा में गोपनीय मतदान नहीं होता। दूसरा कि यहां सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के जरिए चुने जाते हैं, जिसका एक अंकगणित होता है और जिसके आधार पर ही पार्टियां अपने उम्मीदवार उतारती हैं।

क्या है राज्यसभा सदस्य निर्वाचन की प्रक्रिया
संविधान की भाषा में कहें तो अनुच्छेद 80 (4) की व्यवस्था के अनुसार, राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल संक्रमणीय मत के आधार पर होता है। राज्यसभा के सांसद जनता सीधे नहीं चुनती बल्कि उसके प्रतिनिधि यानी कि राज्य विधानसभाओं के विधायक वोट देकर उनका निर्वाचन करते हैं। एकल संक्रमणीय मत प्रणाली में वोटर एक ही वोट देता है लेकिन वह कई उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकता के आधार पर अरेंज करता है। उसका बैलट पेपर बताता है कि उसकी पहली वरीयता पर कौन उम्मीदवार है और दूसरे पर कौन और तीसरे पर कौन है?

वोटिंग का क्या है फॉर्म्युला
राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी को कितने वोटों की जरूरत है, ये पहले से तय होता है। कुल विधायकों की संख्या और राज्यसभा की सीटों की संख्या के आधार पर राज्यसभा में वोटों की संख्या तय की जाती है। हर विधायक के वोट की वैल्यू 100 होती है। राज्यसभा चुनाव के लिए एक फॉर्मूला प्रयोग में लाया जाता है। इसमें पहले कुल विधायकों की संख्या को 100 से गुणा करते हैं। इसके बाद जितनी सीटों पर चुनाव हो रहा है, उसमें एक जोड़ते हैं। फिर विधायकों की संख्या के 100 से गुणनफल को इससे भाग देते हैं। अंत में जो संख्या निकलती है, वह प्रत्याशियों को जीत के लिए वांछित वोटों संख्या होती है।

जैसे अभी उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर चुनाव होने हैं। प्रदेश की विधानसभा में 403 सदस्य हैं। सबसे पहले 403 को 100 से गुणा करते हैं, जो 40300 होती है। इसके बाद सीटों की संख्या (10) में एक जोड़ते हैं, जो 11 होती है। अब 40300 में 11 का भाग देते हैं, जो 3663 होती है। यानी कि यहां प्रत्याशियों को जीतने के लिए 3700 के आसपास वोट चाहिए। यानी कि एक सीट के लिए प्रत्याशियों को कम से कम 37 विधायकों का समर्थन चाहिए।

राज्यसभा में कैसे होता है मतदान
राज्यसभा में गुप्त मतदान नहीं होता और न ही इसमें जनता डायरेक्ट हिस्सा लेती है। राज्यसभा चुनावों के लिए खुली मतपत्र प्रणाली (ओपन बैलट सिस्टम) होता है। प्रत्येक दल के विधायक को अपना वोट मतपेटिका में डालने से पहले दल के अधिकृत एजेंट को दिखाना होता है। अगर एक विधायक अपने दल के अधिकृत एजेंट के अलावा किसी और एजेंट को मतपत्र दिखाता है तो वह वोट अमान्य हो जाता है। अगर अपने दल के एजेंट को मतपत्र नहीं दिखाया तो भी वोट रिजेक्ट हो जाता है। राज्यसभा में वोटर 'नोटा' का प्रयोग नहीं कर सकते हैं।

राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान राज्य विधानसभाओं के विधायक करते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि जिस पार्टी के विधायक ज्यादा होते हैं, वही पार्टी चुनाव जीतती है। राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम के आगे एक से चार का नंबर लिखा होता है। इसमें वोटर विधायकों को अपने पसंद के उम्मीदवार के नाम के आगे वरीयता के आधार पर एक निशान लगाना होता है।

किस राज्य को कितनी सीटें
हर राज्य में राज्यसभा की सीटों की संख्या अलग-अलग होती है। जिस राज्य में जितनी जनसंख्या होती है, उस राज्य को उतनी सीटें मिलती हैं। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या देश में सबसे ज्यादा है। ऐसे में यहां राज्यसभा सीटों की संख्या भी सबसे ज्यादा (31) है। देश भर में राज्यसभा की सीटों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है। इनमें से 238 सीटों पर अप्रत्यक्ष चुनाव होते हैं। वहीं 12 सदस्यों को देश के राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं। राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत होने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होते हैं, जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाजसेवा में विशेष ज्ञान और अनुभव हो।

कितना होता है कार्यकाल
राज्यसभा देश की संसद का उच्च सदन कहा जाता है। यह एक स्थायी सदन है, जिसे भंग नहीं किया जा सकता है। यहां एक तिहाई सदस्य हर दो साल पर रिटायर हो जाते हैं। बाकी राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है।

क्या होती है योग्यता
राज्यसभा सदस्य होने के लिए उम्मीदवारों के पास कुछ विशेष योग्यता होनी चाहिए। पहला तो वह भारत का नागरिक हो। 30 साल की उम्र पूरी कर चुका हो। किसी लाभ के पद पर न हो। पागल या दिवालिया न हो और संसद विधि द्वारा निर्धारित अर्हताएं धारण करे।

विधायकों को दी वोट देने की ट्रेनिंग
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव 27 फरवरी मंगलवार को होना है। बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव के लिए एनडीए के सभी विधायकों को शुक्रवार रात को ही लखनऊ बुला लिया है। इन सभी को सोमवार को लोकभवन में वोट डालने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इन विधायकों में भाजपा के अलावा अपना दल(एस), सुभासपा, निषाद पार्टी के विधायक भी शामिल हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक के अलावा वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर विधायकों को ट्रेनिंग देंगे कि कैसे वोट डालना है? समाजवादी पार्टी के विधायकों ने रविवार को राज्यसभा चुनावों के लिए मॉक वोटिंग की। इस मौके पर विधायकों को बताया गया कि वोटिंग के दौरान उन्हें किस तरह की सावधानियां रखनी हैं। वोटिंग के दौरान किन चीजों का इस्तेमाल नहीं करना है।

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