महिला बाल विकास सहित एक दर्जन विभागों के कर्मचारियों को नही मिलेगा सरकार की नई संविदा नीति का लाभ
लंबित है वेतन पुनर्निधारण समिति में अटके विभागीय प्रस्ताव

मामले में कर्मचारी कल्याण समिति की भी सामने नही आई गम्भीरता
भोपाल। सरकार के नियमित कर्मचारियों की तरह सुविधाओं का सपना कुछ विभागों के संविदा कर्मचारियों का अधूरा रह सकता है। क्योंकि सामान्य प्रशासन और वित्त विभाग के अफसर दूसरे नियमित अमले के पदों के अनुरूप इनको संविदा कर्मचारी नहीं मान रहे हैं। इसमें महत्वपूर्ण यह है कि इसके बाद हजारों कर्मचारियों का भविष्य जहां दांव पर लग गया है। वहीं दूसरी ओर कर्मचारी कल्याण समिति ने इस संबंध में किसी प्रकार की जानकारी होने पर अनभिज्ञता जताई है।
दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के परिपालन में विभागों द्वारा भेजे गये प्रस्तावों पर संविदा कर्मचारियों के वेतन निर्धारण की प्रक्रिया प्रचलित है। सूत्रों के मुताबिक सामान्य प्रशासन और वित्त विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले पर पिछले दो माह में जहां 40 से अधिक बैठकें कर चुके हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी 15 से अधिक बैठकें बुलाई जा चुकी है। बावजूद इसके संविदा कर्मचारियों का वेतन नहीं निर्धारण हो पाया। बताया जाता है कि जिम्मेदारों ने महिला बाल विकास विभाग के मिशन वात्सल्य यानी एकीकृत बाल संरक्षण परियोजना व बाल बिहार, एनव्हीडीए अपीलीय बोर्ड, नगरीय प्रशासन विभाग, पशुपालन विभाग के कुक्कुट विभाग के साथ तकनीकि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को संविदा नीति का लाभ देने से इंकार कर दिया है। इतना ही नहीं विभागों को भी अपनी आपत्तियों से अवगत नहीं कराया है। भेदभाव पूर्ण इस कार्यशैली से इन विभागों में कार्यरत करीब 10 हजार से अधिक संविदा कर्मचारियों का सेवा भविष्य खतरे में आ गया है।
कर्मचारी कल्याण समिति को नहीं जानकारी
इस मामले में कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेशचंद्र ने इस बात की जानकारी से इंकार किया है कि संविदा नीति का लाभ कुछ विभागों के संविदा कर्मचारियों को नहीं मिल रहा है। साथ ही उम्मीद जताई है कि प्रक्रियाधीन वेतनपुर्ननिर्धारण पर फैसला जल्द आ जाएगा।
अफसरों की बैठक में नहीं कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व
संविदा कर्मचारियों का वेतन निर्धारण तथा समकक्षता निर्धारण सहित दूसरे कार्य करने सरकार ने समिति तो बना दी, लेकिन कर्मचारियों की प्रतिनिधि संस्था कर्मचारी कल्याण समिति का प्रतिनिधित्व नहीं है। यही कारण है कि अब तक हुई बैठकों में क्या हुआ, इसको लेकर समिति ने अनभिज्ञता जताई है।
फायदे के साथ कर्मचारियों को नुकसान की संभावना
संविदा नीति का लाभ जहां कई कर्मचारियों के लिये आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित होगी, वहीं कुछ के लिये यह नुकसानदायक भी रहेगी। इसमें आईटी सेक्टर के कर्मचारी भी शामिल है। समिति ने संविदा कर्मचारियों का अधिकतम वेतनमान 1900 से लेकर 4200 के बीच निर्धारित किया है। इनमें मौजूदा दौर पर कई कर्मचारी 6600 से लेकर 5400 ग्रेड-पे का वेतन पा रहे हैं। नये नियम में इनके वेतन एक मुश्त रह जाएगा।
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