मप्र में भू-माफिया के खिलाफ बड़े अभियान की तैयारी
गृह निर्माण संस्थाओं की सरकार ने मांगी कुंडली
भोपाल। प्रदेश में सरकार एक बार फिर भू-माफियाके खिलाफ बड़े अभियान की तैयारी शुरू कर रही है। इसके तहत पहले उन संस्थाओं को निशाने पर लिया जा रहा है जिन्होंने गलत तरीके से संस्था की जमीन सदस्यों को न देते हुए अन्य लोगों को बेच दी। इसमें कई जमीनों का दुरुपयोग भी हो रहा है। दरअसल, सरकार के पास शिकायत पहुंची है कि भोपाल, इंदौर सहित कई शहरों में गृह निर्माण संस्थाओं ने अपनी जमीनें बेंच दी है। जानकारों का कहना है की संस्थाओं द्वारा दूसरी संस्थाओं को जमीनें बेचने के खेल में लगभग हर चौथी संस्था शामिल रही है। इसलिए सरकार ने सभी गृह निर्माण संस्थाओं की कुंडली मंगाई है।
जानकारी के अनुसार, इंदौर, भोपाल सहित कई प्रमुख शहरों में सहकारिता विभाग के अफसरों से सांठगांठ कर गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं की करोड़ों रुपए कीमत की जमीनें बेचने के मामले सामने आए हैं। खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री ने कड़ी आपत्ति ली है। सहकारिता मंत्री ने अगले आदेश तक भूमि बेचने के लिए कोई रिकॉर्ड, फिर लगाई रोक अनुमति नहीं देने के निर्देश दिए हैं। विभाग अब नई पॉलिसी बना रहा है। इसमें अवैध तरीके से बेची गई जमीनों पर बड़ा जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर आपराधिक मामले दर्ज होंगे। प्रदेश में किसी भी गृह निर्माण सहकारी संस्था को जमीन या भूखंड बेचने के पहले सहकारिता विभाग से विकास परमिशन, नामांतरण, ट्रांसफर और अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होता है। आयुक्त सहकारिता ने दो साल पहले भोपाल सहित इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के सौ से अधिक गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं की एक्शन रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन बाद में इस पूरे मामले में पर्दा डाल दिया गया।
बड़े स्तर पर अनियमितता
सहकारिता विभाग के सूत्रों का कहना है कि अब एक बार फिर जमीनों के जादूगरों की पोल खुलने वाली है। जानकारी के अनुसार सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने करीब छह माह पहले उन सभी गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के रिकॉर्ड तलब किए थे जिनकी जमीनें नियमों को ताक पर रखकर बेच दी गईं हैं। खबर है कि मंत्री ने बीच में निर्देश दिए थे कि जल्द नई पॉलिसी बनाई जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब मंत्री ने प्रदेशभर में जमीनों की बिक्री पर रोक लगा दी है। जानकारी के अनुसार, जिन प्रमुख संस्थाओं का रिकॉर्ड मांगा गया है उनमें मजदूर गृह निर्माण, मारुति गृह निर्माण, ऋषभ गृह निर्माण, जनकल्याण गृह निर्माण इंदौर, न्यू बल्लभ गृह निर्माण, स्वामी गृह निर्माण, जनकपुरी गृह निर्माण, विभा गृह निर्माण भोपाल, शिवम गृह निर्माण इंदौर, ग्वालियर महानगर गृह निर्माण ग्वालियर, अन्नपूर्णा गृह निर्माण, स्वास्तिक गृह निर्माण सहकारी संस्था, बाबा गृह निर्माण सहकारी संस्था ग्वालियर, अवंतिका कर्मचारी गृह निर्माण उज्जैन और बैंक कर्मचारी गृह निर्माण छिंदवाड़ा शामिल है। सहकारिता विभाग के संयुक्त आयुक्त हितेंद्र सिंह वाघेला का कहना है कि एआर और डीआर को निर्देश दिए हैं कि वे नईपॉलिसी बनने तक गृह निर्माण संस्थाओं को केवल भूमिविक्रय के लिए एनओसी नहीं देंगे। पॉलिसी कबतक बनेगी, यह बताना अभी संभव नहीं है। जहां तक गृह निर्माण संस्थाओं का पालन प्रतिवेदन मांगने की बात है तो यह जिलों का काम है।
ये प्रमुख सहकारी संस्थाएं निशाने पर
सरकार और सहकारिता विभाग के निशान में जो प्रमुख सहकारी संस्थाएं हैं उनमें नयनतारा भोपाल का नाम भी है। ग्राम भैंसाखेड़ी स्थित 13.45 एकड़ कृषि भूमि के विक्रय की प्रशासकीय अनुमति 13 मार्च 2012 को दी गई। इस संस्था का पालन प्रतिवेदन आयुक्त के यहां चार साल से नहीं भेजा गया। दूसरा नाम बाबा गृह निर्माण, ग्वालियर का है। ग्राम डोगरपुर की कुल रकबा 3.426 हेक्टेयर भूमि हाइवे वाईपास मार्ग पर थी। मास्टर प्लान में वाईपास मर्ग के दोनों ओर 100-100 मीटर भूमि छोडक़र करीब 80 प्रतिशत जमीन में कॉलोनी विकसित नहीं हो पा रही थी। इसके लिए सहकारिता अफसरों ने वर्ष 2013 में प्रशासकीय अनुमति दे दी। तीसरा नाम पाŸवनाथ गृह निर्माण, इंदौर का है। जून 2019 में जमीन बेचने की अनुमति मिली थी। इस मामले की रिपोर्ट भी तीन साल से लंबित है। चौथा नाम सदगुरु गृह निर्माण, भोपाल का है। दो एकड़ भूमि थी। नगर तथा ग्राम निवेश के नियम है कि पांच एकड़ से कम भूमि पर कॉलोनी के लिए अनुमति नहीं दी जा सकती लेकिन उप आयुक्त सहकारिता ने नवम्बर 2014 को प्रशासकीय अनुमति दे दी। पांचवां नाम दानिश गृह निर्माण, भोपाल का है। नवम्बर 2011 में जमीन के नामांतरण संबंधी कार्योत्तर स्वीकृति दी गई। इस संस्था का भी रिकॉर्ड मांगा है।
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