साल 2023 में अधिक मास का प्रारंभ 18 जुलाई दिन मंगलवार से हो रहा है. इस बार अधिक मास सावन माह के साथ जुड़ा हुआ है, इसलिए यह सावन अधिक मास है. सावन में अधिक मास के जुड़ने से श्रावण माह 59 दिनों का हो गया है. अधिक मास को मलमास या पुरूर्षोत्तम मास भी कहते हैं. अधिक मास चातुर्मास से अलग होता है. अधिक मास एक महीने का होता है, जबकि चातुर्मास में चार माह आते हैं. अधिक मास क्या है? अधिक मास और चातुर्मास में क्या अंतर है? अधिक मास को मलमास या पुरूर्षोत्तम मास क्यों कहा जाता है?
अधिक मास 2023 का प्रारंभ और समापन
इस साल अधिक मास की शुरूआत 18 जुलाई से हो रही है और इसका समापन 16 अगस्त को होगा. अधिक मास में पहले शुक्ल पक्ष आएगा और उसके बाद कृष्ण पक्ष आएगा. सावन का कृष्ण पक्ष और अधिक मास का शुक्ल पक्ष एक माह हो जाएंगे. उसके बाद अधिक मास का कृष्ण पक्ष और सावन का शुक्ल पक्ष एक माह हो जाएंगे. इस तरह से इस साल का सावन 2 माह को होाग.
अधिक मास क्या है?
अपने देश में हिंदू कैलेंडर सूर्य और चंद्रमा की गणना पर बनाए जाते हैं. सौर कैलेंडर में 365 दिन और 6 घंटे का एक साल होता है, जिसमें हर 4 साल पर एक लीप ईयर होता है. उस लीप ईयर का फरवरी 28 की बजाए 29 दिनों का होता है. चंद्र कैलेंडर में एक साल 354 दिनों का होता है. अब सौर कैलेंडर और चंद्र कैलेंडर के एक वर्ष में 11 दिनों का अंतर होता है. इस अंतर को खत्म करने के लिए हर तीन साल पर चंद्र कैलेंडर में एक अतिरिक्त माह जुड़ जाता है. वह माह ही अधिक मास होता है. इस तरह से चंद्र कैलेंडर और कैलेंडर के बीच संतुलन बना रहता है. इस वजह से हर 3 साल में एक अधिक मास होता है.
अधिक मास को क्यों कहते हैं मलमास?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अधिक मास में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. नामकरण, विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश आदि वर्जित होता है. यह साल में अतिरिक्त महीना होता है, जिसे मलिन माना जाता है. इस वजह से अधिक मास को मलमास कहते हैं.
ऐसे पड़ा अधिक मास का पुरूर्षोत्तम मास नाम
पौराणिक कथाओं के अनुसार, काल गणना में हर माह के लिए एक अधिपति देव हैं, जिनकी पूजा उस माह में की जाती है. चंद्र वर्ष में जब अधिक मास के अधिपति देव को नियुक्त करने की बात आई तो कोई भी देवता इसके लिए तैयार नहीं हो रहा था. तब भगवान विष्णु अधिक मास के अधिपति देव बनने के लिए तैयार हुए. उनका एक नाम पुरूर्षोत्तम भी है, इसलिए अधिक मास को पुरूर्षोत्तम मास कहा जाता है.
अधिक मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से उनका आशीर्वाद मिलता है. इस माह में विष्णु पुराण, भागवत कथा आदि को सुनने, व्रत, पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन करने से सुख और शांति मिलती है.
अधिक मास और चातुर्मास में अंतर
अधिक मास हर तीन साल पर एक बार आता है, जबकि चातुर्मास हर साल आता है. देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास का प्रारंभ होता है. चातुर्मास में भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं, इसलिए 4 माह तक मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. देवउठनी एकादशी को चातुर्मास का समापन होता है, उस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आ जाते हैं और मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. इस साल चातुर्मास 29 जून से प्रारंभ हो रहा है.
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